Saturday, February 24, 2018

Who gives the results : Planets Or ........ (आखिर फल कौन देता है )

       अक्सर जब साधारण जन मानस के बीच ज्योतिष की चर्चा देखने व सुनने का अवसर मिलता है तो हमेशा कुछ बातें उनके बीच सामान्य होती हैं जैसे कि यदि किसी को शनि की दशा चल रही है तो संवादों के बीच सशक्त रूप से सुनने को मिलता है , कि "शनि चल रहा है तब तो तेरा समय खराब है ,तू तो शनि के मंदिर जाया कर और ये दान किया कर वरना बहुत मुश्किल हो जायेगी !" और दुसरी ओर  जब पता चलता है , कि किसीको गुरू की दशा चल रही है , तो कहा जाता है , कि "तेरे तो अभी मौज है , गुरू तो बहुत अच्छा ग्रह है तुझे पूरी तरह सेट कर देगा -फलां फलां ". तो क्या जिस जिस व्यक्ति को शनि की दशा चलेगी वह समस्याओं से जूझता ही रहेगा और गुरू की दशा वाला व्यक्ति आनंद करेगा ? क्या शनि कभी किसी का कुछ अच्छा नहीं कर सकता ? आइये कुछ चर्चा हो जाये इस बात पर ! 
जितना अपने अल्पकालीन विद्यार्थी जीवन में सीखा है उस आधार पर स्पष्ट करने का प्रयास करता हूँ  
        सर्वप्रथम तो ये बात जानना बहुत आवश्यक है , कि फल  देता कौन है ! हालाँकि ये बात थोड़ी दार्शनिक लग सकती है लेकिन सत्य है , कि फल हमारा कर्म ही देता है और वही दे सकता है, ग्रहों में ये शक्ति नहीं कि हमें फल प्रदान करें वे तो कर्म फलों के संचरण का माध्यम मात्र हैं ! गहन विचार करने पर मन में यही प्रस्फुटित होता है , कि जब मनुष्य पैदा होता है , तो उस मनुष्य को उसके जीवन काल में जो कुछ भी मिलना होता है ईश्वर वह सब कुछ उसके साथ एक बड़े होटल में भेज देता है ! इस होटल  में बारह कमरे होते हैं जिनमें वो सामान रखा होता है जो उसे इस जीवन काल में काम लेना होता है ! इन्हीं कमरों में कुछ खाली स्थान भी होता है जहाँ वह व्यक्ति इस जीवन काल में कुछ कमाकर वहाँ रख सकता है ,लेकिन ये स्थान सीमित होता है ! इन सामानों को उस व्यक्ति तक पहुँचाने वाले नौ कर्मचारी  उस होटल में काम करते हैं जो अपने अपने कार्य समय के हिसाब से अपने अपने कमरों से सामान उस व्यक्ति तक पहुंचाते रहते हैं !  
         अब मान लीजिए की उस व्यक्ति ने किसी डिश का आर्डर किया और वो डिश किसी कमरे में है ही नहीं तो उसे कैसे मिल सकती है ! हाँ वो खुद कमा  सकता है लेकिन यदि उसने अपने होटल के कमरों के खाली स्थान को पूर्णतया भर दिया है तो फिर कोई उपाय नहीं है ! फिर एक बात समझ में नहीं आई की ग्रहों ने क्या दिया ! ग्रह तो केवल सप्लाई का काम करते हैं , तो फिर शनि खराब कैसे और गुरू अच्छा कैसे ! अब यदि शनि के कमरे में केवल अच्छा सामान ही रखा होगा तो अपने कार्यसमय में वह केवल अच्छा ही दे पाएगा बुरा नहीं और गुरू के कमरे मैं सबकुछ खराब रखा  है तो वह अच्छा कैसे देगा सोचें , हाँ परोसने का ढंग उनका अपना अपना हो सकता है लेकिन परोसेंगे तो वही जो पीछे से मिलेगा ! यही वो बात जिसे समझने का प्रयत्न मेरे जैसे और भी नए ज्योतिष विद्यार्थियों को करना  चाहिए ताकि अच्छे बुरे का दोष ग्रहों के सर न मढा  जाऐ  और व्यक्ति स्वयं इसके लिए जिम्मेदार रहे , कि मिल तो वही रहा है जो मैंने जमा किया है ग्रह तो केवल माध्यम है !इस विषय पर चर्चा आगे भी जारी रहेगी ............



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