Sunday, June 5, 2011

HORARY ASTROLOGY (प्रश्न ज्योतिष)

कई पाठकों से प्राप्त अनुरोध के प्रत्युत्तर में प्रश्न ज्योतिष या गोचर फल ज्योतिष से सम्बंधित ये  महत्वपूर्ण लेख , समर्पित है PROF.K.S. KRISHNAMURTI JEE और नागपुर के प्रसिद्द ज्योतिषी हनमंतसा नेमासा काटवे को ,जिन्होंने इस विषय पर काफी अध्ययन किया और  इसे ज्योतिष की एक पूर्ण विधा के रूप में विकसित करने का पूरा प्रयास किया ! विषय की शुरुआत मैं ये जानने का प्रयास करते हैं , कि ये HORARY क्या है ,तो इस विषय को स्पष्ट करते हुए ये बताना चाहूँगा कि ये ज्योतिष विज्ञान की ही एक शाखा है , जो कि उन स्थानों पर काम में ली जाती है ,जब किसी जातक को अपना भविष्य जानना होता है या अपने भविष्य से सम्बंधित किसी विशेष घटना पर उसे ज्योतिषीय सलाह की आवश्यकता होती है,पर उसके पास अपने जन्म का DATABASE  या तो होता नहीं है और अगर होता है तो वह अपूर्ण होता है !उस स्थिति में उस जातक से उसका सवाल पूछा जाता है और उस समय को ही उस प्रश्न का जन्म समय मानकर कुंडली बनाकर उस प्रश्न का उत्तर दिया जाता है !सबसे महत्वपूर्ण बात तो इस पद्धति की ACCURACY  की है , क्योंकि इसमें समय , तिथि या कुछ और गलत होने की सम्भावना नगण्य होती है और प्रश्न का उत्तर सही प्राप्त होता है !लेकिन यह पद्धति केवल उसी प्रश्न के सम्बन्ध में जातक का मार्गदर्शन कर सकती है जो उसने पूछा है ! यदि भविष्य में उस व्यक्ति को कुछ और पूछना हो तो यही प्रक्रिया दुबारा दोहरानी पड़ेगी! ज्योतिष की इस विधा का प्रयोग उतना ही प्राचीन है जितना साधारण "NATAL ASTROLOGY" अर्थात जातकीय  ज्योतिष का !वर्तमान में इस विधा का विस्तृत प्रयोग किया जा रहा है और RESEARCHES  भी जारी है इस विषय को लेकर!अब बात करते हैं कुछ ज्योतिषियों द्वारा प्रयुक्त "HORARY"  के तरीकों पर !                     
रामशलाका प्रश्नावली :- रामचरितमानस तो आप सब ने पढ़ी होगी उसके शुरुआती पृष्ठ पर ही रामशलाका प्रश्नावली है जहां आप अपना प्रश्न मन में सोचकर उसकी सहायता से उत्तर प्राप्त कर सकते हैं ! ये  भी प्रश्न ज्योतिष का एक उदहारण है ! 
वैदिक प्रश्न ज्योतिष :- इस पद्धति में जब कोई जातक प्रश्न पूछने के लिए ज्योतिषी के पास आकार अपना प्रश्न पूछता है तो उस समय के उदित लग्न  को कुंडली मानकर सभी गणनाएं कर उत्तर दिया जाता है !लेकिन कभी - कभी एक समय में ही या कहें तो एक लग्नोदय में ही कई लोग एक जैसे सवाल लेकर आते हैं तो उस समय गणना करना थोडा सा मुश्किल होता है ! हालाँकि इसके विचार में ये बताया गया है कि प्रथम प्रश्न का उत्तर लग्न से फिर सूर्य ,फिर चंद्र इस तरह क्रमानुसार देना चाहिए लेकिन वर्तमान में कम प्रचलित है !  जबकि इस विधि के स्थान पर जब एक ही समय कई जातक एक ही प्रश्न लेकर आते हैं तो तो उससे  1 से लेकर 12 तक एक अंक पूछ कर उसके बताये अंक को लग्न मानकर वहाँ से गणना कर उत्तर दिए जा सकते हैं !
केरला ज्योतिष :-  इसमें किसी फूल , फल या नदी का नाम पूछकर गणना  कर उत्तर दिया जाता है !यह विधि  मुख्यतया केरला में ही प्रचलित है ! 
काटवे की "प्रश्न विचार "  :- काटवे के बारे  में जानने के लिए  यहाँ   देख सकते हैं ! काटवे ने अपने प्रश्न विचार में इस पद्धति को एक अलग ही मोड दिया है !उनकी गणना  का आधार है, कि जब जातक प्रश्न पूछने आता है तो जिस दिशा की और उसका मुख होता है उसके अनुसार उस जातक के चरों दिशाओं में ग्रहों को वारानुसार स्थापित किया जाता है और अलग अलग दिशाओं में स्थित ग्रहों के अनुसार फलादेश किया जाता है !वर्तमान में यह पद्धति  कम प्रचलन में है !                                                                                             
KRISHNAMURTI HORARY ASTROLOGY :- ज्योतिष की पद्धति के पुनरुत्थान का श्रेय श्री  कृष्णमूर्ति महोदय को दिया जा सकता है !इन्होंने इस विधा का पूर्ण SCIENTIFIC तरीके से विकास किया है और अपने आप में पूर्ण बनाने के साथ ही साथ जातकीय  ज्योतिष का एक अभिन्न अंग भी बना दिया है !मेरी एक पोस्ट आप लोगों ने पढ़ी जिसमे मैंने लोगों से सवाल आमंत्रित किये थे गणपति का निमंत्रण  में आप देख सकते हैं!यहाँ मैंने केवल अपना प्रश्न और उस प्रश्न के साथ  1 से  249 तक की संख्या लिखने को कहा है ! ये 1  से  249 अंकों वाली पद्धति के लिए सारा श्रेय कृष्णमूर्ति जी को दिया जा सकता है !यहाँ ये स्पष्ट कर देना उचित समझता हूँ , कि ये अंक NUMEROLOGY  से सम्बंधित नहीं हैं बल्कि ये बारह राशियों का विभाजन हैं ! प्रत्येक अंक तीन ग्रहों के  COMBINATION  को  बताता है ! राशि - नक्षत्र - उप स्वामी  !उदहारण के तौर पर 'यदि कोई व्यक्ति प्रश्न पूछने के बाद उस प्रश्न के लिए अंक 7  का चयन करता है तो उसका तात्पर्य है , कि मेरे प्रश्न का लग्न मेष राशि के उस स्थान पर मानो  जहां "मंगल - केतु - गुरु" का COMBINATION बनता हो !और उस स्थान को लग्न मानते हुए सभी ग्रहों को गोचर के स्थान पर रखते हुए प्रश्न के लिए गणना करें ! इस विधि  के बारे में विस्तार से चर्चा मेरे ब्लॉग पृष्ठ "ज्योतिष योग संग्रह" में की जायेगी !         HORARY ASTROLOGY  से मिलता जुलता ही एक सब्जेक्ट है "RULING PLANETS" जिस पर आगामी लेखों में चर्चा की जायेगी !यदि RULING PLANETS "तात्कालिक कार्येष ग्रहों " पर ज्योतिषी अपनी अच्छी पकड़ कर लेता है तो वह किसी जादूगर से कम नहीं होता !इतना चमत्कारी होता है इनका प्रभाव और फलादेश !
आज का टिप :-स्त्रियों को सिन्दूर सही मात्रा  में और सही तरीके से लगाना  चाहिए क्योंकि यह यह ब्रह्मरंध्र और अधमी रंध्र के ठीक ऊपर लगाया जाता है जिसे  सामान्य भाषा में सीमन्त या मांग कहते हैं !पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में यह भाग नाजुक होता है और शरीर में विद्युत ऊर्जा के नियंत्रण का कार्य करता है ! सिन्दूर में  पाया जाने वाला पारा दुष्प्रभावों से स्त्रियों की रक्षा करता है ! 
! जय गणेश !
!! जय जय गणेश !!     
                                                                                                                                                                        








                     




                                     


                                                                                                                                                                                                                                                                                                                 


5 comments:

  1. श्री राम जी प्रणाम,आप मुझे ग्रहों की युति के विषय मेंख़ें और संपुर्ण जानकारी देने वाले थे,कृपया बताइये ना !

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  2. श्री राम जी प्रणाम,आप मुझे ग्रहों की युति के विषय में संपुर्ण जानकारी देने वाले थे,कृपया बताइये ना !

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  3. आपका ब्लोग्स देखा ! लगा कुछ तो हैं आप की नजरो में जो ज्योतिष में कुछ अलग देखने की चेष्टा करती हैं, वरना आज ज्योतिषी तो वही बात करते हैं जो उन्हें सिखा दी गयी हैं, उसमे कुछ नया करने की कोशिश ही नहीं करते!
    हम इश्वर से प्रार्थना करते हैं की वो आपको ज्योतिष की असीम बुलंदियों तक लेजाये !
    - KARTIKEY KUMAR

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  4. भास्कर जी ज्योतिष योग संग्रह में धीरे - धीरे सब आ जाएगा !धैर्य के साथ अध्ययन करते रहे ! काफी कुछ मिलेगा वहाँ !
    ! जय गणेश !

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  5. शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद कार्तिकेय जी !
    ! जय गणेश !

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