Sunday, March 25, 2018

THE SUN : DO'S AND DONT'S सूर्य : क्या करें और क्या नहीं

Image result for सूर्य और आदतें जब जब भी ज्योतिष की बात होती है तो सदैव ही हम ज्योतिषीय उपचार व उनके महत्व के बारे में चर्चा करते हैं. क्या कभी हमने सोचा है कि दैनिक जीवन में हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्य,आराधना या कहें तो हमारी आदतें भी हमारी ग्रह स्थिति के अनुकूल हो तो हमें उन ग्रहों का शुभ परिणाम प्राप्त होता है.सामान्य पद्धति से हटकर आज मैं चर्चा करूंगा कि अपने दैनिक जीवन में किन आदतों में सुधार करके और कौन से कार्य नित्य अपनी जीवनशैली में सम्मिलित करके हम अपने ग्रह योगो के शुभ परिणाम को प्राप्त कर सकते हैं और अशुभ परिणामों में कमी कर सकते हैं.

हम इन आदतों को ज्योतिषीय उपचारों की श्रेणी में रख सकते हैं. ये आदतें ज्योतिषीय योगों के साइड इफेक्ट को या बुरे परिणामों को कम कर शुभ परिणामों में वृद्धि करती है. विभिन्न ग्रहों को आधार मानते हुए इस श्रृंखला को नौ अलग अलग लेखों द्वारा समझाने का प्रयत्न किया जाएगा कि किन योगों में हमें अपने जीवन में किन आदतों को शामिल करना चाहिए और किन आदतों को त्याग देना चाहिए.इस लेख में हम सूर्य के उपाय,आराधना के बारे में चर्चा करेंगे.

सूर्य (THE SUN)

सूर्य यदि प्रथम भाव का स्वामी हो या प्रथम भाव में स्थित हो तो :- ऐसे व्यक्तियों को सदैव स्वावलंबी और निश्चित दिनचर्या वाला होना चाहिए तथा दिन में कुछ न कुछ कार्य मेहनत का अवश्य करना चाहिए. सुबह देरी से उठना इन के लिए घातक हो सकता है.

सूर्य यदि द्वितीय भाव का स्वामी हो या द्वितीय भाव में स्थित हो तो:- ऐसे व्यक्तियों को हमेशा परिवार में जब भी जिम्मेदारी का काम हो तो उसे पूरा करना चाहिए. पिता द्वारा बताए गए आदेशों की कभी अवज्ञा नहीं करनी चाहिए व उस कार्य को पूरा करना चाहिए.

सूर्य यदि तृतीय भाव का स्वामी हो या तृतीय भाव में स्थित हो तो:- ऐसे व्यक्तियों को सदैव बिना डरे सत्य बोलना चाहिए. झूठ बोलना इस योग के बुरे परिणामों की ओर ले जाता है. सही को सही व गलत को गलत कहने का सामर्थ्य रखना चाहिए. किसी स्वजन के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए.

सूर्य यदि चतुर्थ भाव का स्वामी हो या चतुर्थ भाव में स्थित हो तो :- ऐसे व्यक्तियों को सदैव विद्याध्ययन में मेहनती रहना चाहिए तथा जब कभी खेतों में जाने का अवसर प्राप्त हो तो वहां अवश्य जाना चाहिए. माँ की सेवा करनी चाहिए.

सूर्य यदि पंचम भाव में हो या पंचम भाव का स्वामी हो तो:-ऐसे व्यक्तियों को अपने भोजन करने का समय निश्चित रखना चाहिए तथा ऐसी-वैसी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए.

सूर्य यदि छठे भाव का स्वामी हो या छठे भाव में स्थित हो तो:- ऐसे व्यक्तियों को अधिक चिंता नहीं करनी चाहिए. एक ही विषय पर लगातार चिंता करते रहने से दिल की बीमारी होने का भय बना रहता है तथा भोजन सदैव भूख से कम ही करना चाहिए
                       
                                   

सूर्य यदि सप्तम भाव का स्वामी हो या सप्तम भाव में स्थित हो तो:- ऐसे व्यक्तियों को किसी भी सरकारी विभाग से या सरकारी विभागों के कर्मचारियों से नहीं उलझना चाहिए.जहां तक हो सके सरकारी नियमों का पालन करना चाहिए तथा सरकारी टैक्स आदि का भुगतान समय पर सही मात्रा में करते रहना चाहिए. स्त्रियों से कभी शत्रुता नहीं करनी चाहिए तथा पत्नी के स्वास्थ्य का सदैव ध्यान रखना चाहिए.

सूर्य यदि अष्टम भाव का स्वामी हो या अष्टम भाव में स्थित हो तो;- ऐसे व्यक्तियों को हमेशा अपने पिता से कुछ दूरी बनाकर रखनी चाहिए जैसे सोने का कमरा दोनों का अलग हो, भोजन का समय दोनों का अलग हो इत्यादि .पिता के प्रति श्रद्धा, सम्मान और आदर में कोई कमी ना हो बल्कि यह दूरी केवल भौतिक रूप से हो ताकि दोनों के स्वास्थ्य व कारोबार के लिए हितकर रहे. स्त्रियों को अपने नियमित चक्र को लेकर सजग रहना चाहिए तथा किसी प्रकार की समस्या होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.

सूर्य यदि नवम भाव का स्वामी हो या नवम भाव में स्थित हो तो:-ऐसे व्यक्तियों को पिता को पिता के रूप में व गुरु के रूप में भी सम्मान प्रदान करना चाहिए. माता के कुल अर्थात मामा-मामी से संबंध सदैव मधुर रहे ऐसा प्रयास करना चाहिए.

सूर्य यदि दशम भाव का स्वामी हो या दशम भाव में स्थित हो तो:- ऐसे व्यक्तियों को अपने कार्य समय में सदैव ही ईमानदारी से कार्य करना चाहिए. कर्म योग ही इन्हें ऊंचाई पर ले जाता है तथा कर्म से किसी प्रकार की चोरी करना इनके लिए नुकसानप्रद होता है.

सूर्य यदि एकादश भाव का स्वामी हो या यहां स्थित हो तो:- ऐसे व्यक्तियों को सदैव यह प्रयास करना चाहिए कि उनकी संतान को अच्छे संस्कार दिए जाएं. महिलाएं अपनी गर्भावस्था के दौरान विशेष ध्यान रखें.

सूर्य यदि द्वादश भाव का स्वामी हो या द्वादश भाव में स्थित हो तो;- ऐसे व्यक्तियों को सदैव अपने विश्वस्त अनुचरों पर भी ध्यान रखना चाहिए तथा अपने बंधुओं से लड़ाई ना हो इस बात का ख्याल रखना जाना चाहिए.इसके अलावा यदि संभव हो तो सरकारी अस्पतालों में जहां तक हो सके किसी न किसी प्रकार का सहयोग करते रहना चाहिए.

सूर्य की मूल प्रवृत्ति समस्त जंतु जगत और वनस्पति जगत के जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा का निर्माण करना और इस उर्जा को वहां तक संप्रेषित करना है. इस कार्य में नियमितता सूर्य की सबसे बड़ी विशेषता है अतः यदि हमें सूर्य के शुभ प्रभावों को प्राप्त करना है तो तो त्याग की प्रवृत्ति को अपनाना चाहिए सदैव ही कुछ देने का प्रयत्न करना चाहिए जो हम दे सकें. इसके अलावा नियमित रहने से भी सूर्य के अशुभ प्रभाव में कमी होती है तथा शुभ परिणाम अधिक प्राप्त होता है.सूर्य के चक्र के हिसाब से यदि दिनचर्या को रखा जाए तो आरोग्य की प्राप्ति होती है क्योंकि सूर्य आरोग्य का भी कारक है .

अगले लेख में चंद्रमा को केंद्र में रखकर इस विषय पर विचार करेंगे कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं जिससे हमें चंद्र के अशुभ प्रभाव कम होकर शुभ प्रभाव अधिक प्राप्त होते रहे.

जय गणेश

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