Saturday, April 11, 2020

रामायण Ramayan

      राम,🌞तुम्हारा चरित स्वयं ही काव्य है।
      कोई कवि बन जाय, सहज संभाव्य है। 🙏

         राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा रचित साकेत महाकाव्य की ये पंक्तियाँ,✍ मानो सम्पूर्ण सनातन साहित्यिक कलेवर को निचोड़कर उसके अर्क रूप में उद्घोषित की गई हैं ।

         श्रीराम की भक्ति में आकण्ठ डूबकर उनके चरित का वर्णन, काव्य में क्या इससे बड़ी कोई संभावना हो सकती है । ऐसा चरित जो आपको ब्रह्मा की सृष्टि के रसों से भी और आगे की मनोयात्रा पर ले चले, सामान्य तो नहीं हो सकता ।

  श्रीराम के प्रांजल पादपद्मों से सुवासित, चरित रूपी सरोवर का नाद करते हुए कवि को ब्रह्मा से भी वृहद सृजनकर्ता होने का जो घोष तुलसी करते हैं,  वह किसी सामान्य विषय पर लिखने वाला व्यक्ति नहीं कर सकता ।✍

       रामचरितमानस में तुलसीदास जी कहते हैं -

विधि से कवि सब विधि बड़े जह मैं संशय नाहि ।
                              🌈
सठ् रस विधि की सृष्टि में नव रस कविता माहि ।।

      इसका सबसे बड़ा प्रमाण है "रामचरितमानस"
जो साहित्य और भक्त-जगत में उसी प्रकार शीर्ष पर अवस्थित है, जिस प्रकार नीलकंठ शिव की जटाओं में शशि 🌙 और श्रीकृष्ण के सिर पर मोर-पँख ।

         बौद्धिक विलास, काव्य के आलंकारिक सौंदर्य तथा बड़े-बड़े बौद्धिक उपक्रमों के साथ यदि उपदेशात्मकता और आध्यात्मिक व आत्मिक आनंद की बात की जाए तो श्रीराम के जीवनचरित पर लिखे गए काव्य से श्रेष्ठ और क्या हो सकता है, जो आज सैकड़ों वर्षों से निरंतर काव्य-रसिकों और भक्तों द्वारा गाया जा रहा है (रामचरितमानस)🙏

          मेरे हृदय से तो प्राणप्रभु श्रीराम के लिए बस यही पंक्तियाँ स्वतः स्फूर्त हुई हैं -
             
                    निष्प्राण माटी के दिये
                    जैसा रहा मेरा जीवन,
                    तुम्हारे बिन जलूँ कैसे
                    तुम्हीं तो प्राण - बाती हो ।
                                🙏



                    श्रीरामकृपाकांक्षी
                           ◆लघु◆
                                       

Friday, April 10, 2020

कोरोना COVID19

           🤴"सिकंदर - कोरोना" 🥶

एक  आया   था  सिकंदर
बनके  धरती का  विजेता,💪
दम्भ  में  था वह  नराधम
मैंने सकल विश्व  है जीता ,🌏

               मदमत्त कुंजर तब चला वह🐘
               रौंदने   आर्य - आवर्त   को,
               जीत लूँगा भरत - भूमि को
               ज्यों झपटे सारंग को चीता,🐆
             
प्रवेश सहज पा गया भूमि पर
जयचंदों  की  मिलीभगत  से,👿
पर  उसको   यह  ज्ञात  कहाँ
यह  इतना  आसान  नही था,🤛

                 चोटी वाला चाणक जगता👶🏻
                 तब  तक राजा जीते उसने,
                 चंद्रगुप्त  भिड़ने  से  पहले 🤴
                 पोरस को  भी मोड़ा उसने,

विष्णुगुप्त   के   उद्बोधन से
चंद्रगुप्त के  अति योधन  से,
थकी  चमू और  थका स्वयं
वापस अपने  देश  चला था,

               विश्व  सकल है  विजित किया
               अब सहज हिन्द  को  जीतूंगा,
               यह सोच  आया  था  सिकंदर
               लौटा यवन सर किये था नीचा ।

                       ✍🏽 श्रीराम बिस्सा ◆लघु◆



Friday, April 13, 2018

KXIP vs RCB "IPL 2018 - ASTROLOGICAL ANALYSIS'

                                                                                          KXIP  vs    RCB
                                                                     IPL 2018    ASTROLOGICAL ANALYSIS
                                                                                         KP ASTROLOGY
             
                जब KP ASTROLOGY "कृष्णमूर्ति पद्धति" की नक्षत्रीय ज्योतिष प्रणाली में जीत और हार के प्रश्न पर विचार किया गया है तो दो नियमों का विशिष्टता से उल्लेख किया गया है.
   
                प्रथम तो यह की जीत व हार के विषय में एकादश स्थान योगदान निर्विवाद है.अतः जीत के प्रश्न में एकादश स्थान अर्थात ELEVENTH HOUSE  का SUBLORD या उपाधिपति यदि वक्री "RETROGADE" होता है तो तब तक जीत नहीं होती है जब तक की वह मार्गी "DIRECT" नहीं हो जाता है.

               द्वितीय यह कि यदि जीत को शासित करने वाले एकादश स्थान का SUBLORD  वक्री ग्रह के नक्षत्र में हो तो जीत नहीं होगी ऐसा ही कहना पड़ेगा , अर्थात्  इसे पक्का नियम माना गया है .

              अनुभव के आधार पर मैं  इसमें एक उपनियम को और शामिल कर लेता हूँ,क्योंकि इसे नज़रअंदाज़ करने का खामियाजा कई बार भुगत चुका हूँ. वह उपनियम यह है कि यदि एकादश स्थान का SUBLORD वक्री न हो और ना ही वो किसी वक्री ग्रह के नक्षत्र में हो लेकिन यदि वह जिस ग्रह के SUB में स्थित है वह यदि वक्री है तो विजय प्राप्त नहीं होती है .

       आज का मैच जो KINGS XI PUNJAB "KXIP" और  ROYAL CHALLENGERS BANGLORE "RCB" के बीच होने जा रहा है उसमें दोनों ही टीम के छठे और एकादश का सम्बन्ध एक दुसरे के एकादश से बना हुआ है अर्थात् मैच अंत तक चलेगा और हार या जीत को अंत तक तौल पाना काफी मुश्किल होगा फिर भी अंतिम  क्षणों में पंजाब को भाग्य का कुछ साथ मिलना चाहिए.

KP ASTROLOGY के SUBLORD SYSTEM को समझने के लिए अलग से लिखने का प्रयास करूँगा.
जय गणेश.

"KP ASTROLOGY"

"KP ASTROLOGY"
"THE ASTROLOGICAL DIAMOND - FOUNDER OF KRISHNAMURTI PADDHATI "
                                          कर्मों की व्याख्या 

       कृष्णमूर्ति पद्धति के बारे में बात करने से पहले मैं बात करना चाहूँगा कर्म के सिद्धांत के बारे में जिसका उल्लेख प्रो. के. एस. कृष्णमूर्ति जी  ने अपनी पुस्तक "FUNDAMENTAL PRINCIPLES OF ASTROLOGY" में किया है!क्योंकि चाहे जीवन हो ज्योतिष ये सब कर्म ही तो हैं जो इनका निर्धारण करते हैं !जीवन और ज्योतिष में कर्मों के सम्बन्ध और महत्त्व को समझने लिए ही कर्मों के सिद्धांत को पहले समझना आवश्यक सा देख पड़ता है !कृष्णमूर्ति जी ने अपनी पुस्तक में में कर्मों की तीन श्रेणियों का जिक्र किया है ! 
1. दृढ़ कर्म       
2. दृढ़ दृढ़ कर्म          
3. अदृढ़ कर्म 
1. दृढ़ कर्म:- कर्म की इस श्रेणी में उन कर्मों को रखा गया है जिनको प्रकृति  के नियमानुसार माफ नहीं किया जा सकता !जैसे क़त्ल,गरीबों को उनकी मजदूरी न देना,बूढ़े माँ - बाप को खाना न देना ये सब कुछ ऐसे कर्म हैं जिनको माफ नहीं किया जा सकता ! ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में चाहे कितने ही शांति के उपाय करे लेकिन उसका कोई भी प्रत्युत्तर उन्हें देख नहीं पड़ता है ,चाहे ऐसे व्यक्ति इस जीवन में कितने ही सात्विक जीवन को जीने वाले  हों लेकिन उनको जीवन कष्टमय ही गुजरना पड़ता है वे अपने जीवन के दुखों को दूर करने के लिए विभिन्न ज्योतिषीय उपाय करते देखे जाते हैं लेकिन अंत में हारकर उन्हें यही कहने के लिए मजबूर होना पड़ता है,कि ज्योतिष और उपाय सब कुछ निरर्थक है ,लेकिन ये बात तो एक सच्चा ज्योतिषी ही  जानता है कि क्यों यह व्यक्ति कष्टमय जीवन व्यतीत करने को  बाध्य है !
2.दृढ़ अदृढ़ कर्म:-कर्म की इस श्रेणी में जो कर्म आते है उनकी शांति उपायों के द्वारा की जा सकती है अर्थात ये माफ किये जाने योग्य कर्म होते हैं !जैसे कोई  व्यक्ति कोलकाता जाने लिए टिकट लेता है परन्तु भूलवश मुम्बई जाने वाली ट्रेन में बैठ जाता है !ऐसी स्थिति में टिकट चेक करने वाला कर्मचारी पेनल्टी के पश्चात उस व्यक्ति को सही ट्रेन में जाने की अनुमति दे देता है !ऐसे वैसे व्यक्ति सदैव ज्योतिष और इसके उपायों की तरफदारी करते नजर आते हैं !
3. अदृढ़ कर्म:-(नगण्य अपराध) ये वे कर्म होते हैं जो एक बुरे विचार के रूप में शुरू होते हैं और कार्य रूप में परिणत होने से पूर्व ही विचार के रूप में स्वतः खत्म हो जाते हैं ! जैसे एक लड़का आम के बाग को देखता है और उसका मन होता है ,कि बाग से आम तोड़कर ले आये लेकिन तभी उसकी नजर रखवाली कर रहे माली पर पड़ती है और वह चुपचाप आगे निकल जाता है !यहाँ बुरे विचारों का वैचारिक अंत हो जाता है अतः ये नगण्य अपराध की श्रेणी में आते हैं और थोड़े बहुत साधारण शांति - कर्मों के द्वारा इनकी शांति हो जाती है ! ऐसे व्यक्ति ज्योतिष के विरोध में तो नहीं दिखते लेकिन इसके ज्यादा पक्षधर भी नहीं होते !
           ज्योतिष का एक जिज्ञासु विद्यार्थी होने के नाते कहना चाहूँगा कि सभी को अपनी दिनचर्या में साधारण पूजन कार्य और मंदिर जाने को अवश्य शामिल करना चाहिए क्योंकि ये आदत पता नहीं कितने ही  अदृढ़ कर्मों से जाने - अनजाने में छुटकारा दिला देती है !कर्म और भाग्य के विषय में इसी श्रृंखला के आगामी लेख में कर्म और भाग्य के रहस्य का पूर्ण सत्य विवरण प्रस्तुत करने का प्रयत्न करूँगा !
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Thursday, April 12, 2018

IPL - 2018 "MI VS SRH" - ASTROLOGY ANALYSIS

                                                 IPL - 2018   ASTROLOGY ANALYSIS
                                    MUMBAI INDIANS  VS  SUNRISERS HYDERABAD


        सामान्यतया ज्योतिष में जातक की कुण्डली के विश्लेषण को आधार मानते हुए तीसरे, छठे और ग्यारहवें भाव को जिन्हें संस्कृत में "त्रिशदायेश' कहा जाता है अच्छा नहीं माना गया है. ज्योतिष के सिद्धांतों में तीसरे से पापी छठे को और छठे से पापी एकादश को माना गया है.
        बात जब हार और जीत की होती है तो जातक कुंडली विश्लेषण में पापी कहे जाने वाले ये तीनों भाव बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाते हैं . कैसे ?   आइये देखते हैं -

THIRD HOUSE "तृतीय भाव"-  यह भाव पराक्रम से सम्बंधित है और किसी भी मैच में जीतने के लिए जिस वस्तु की सर्वाधिक आवश्यकता होती है वह है "पराक्रम"

SIXTH HOUSE "छठा भाव"- छठा भाव विरोधी के लिए हानि का भाव है और विरोधी को हानि अर्थात स्वयं को लाभ.

ELEVENTH HOUSE "ग्यारहवां भाव"- यह भाव स्वयं की विजय से सम्बंधित है जो कि सर्वाधिक महवपूर्ण है .

           यदि पराक्रम भाव का सम्बन्ध स्वयं की विजय से और शत्रु की पराजय से हो तो विजय निश्चित है.
               "बाजीराव की तलवार और 3,6,11 के सम्बन्ध से होने वाली विजय पर संदेह नहीं करते"

    अर्थात् तीसरे भाव का छठे व ग्यारहवें भाव से सम्बन्ध बनता हो तो उस टीम की जीत होती है और यदि तीसरे भाव का सम्बन्ध दुसरे पांचवे से बनता हो तो पराजय . यहाँ तक तो ठीक है लेकिन जब दोनों ही ओर ऐसे सम्बन्ध ना बने तो फिर गहन विश्लेषण की आवश्यकता होती है और जहां तक IPL के MATCH की बात करें तो ये मैच इतने नजदीकी होते हैं कि ज़रा सी  चूक निर्णय को प्रभावित कर सकती हैआज होने वाला मैच भी बहुत ही संघर्षपूर्ण होगा ऐसा गणना से प्रतीत हो रहा है लेकिन अंत में पलड़ा कुछ मुंबई की ओर झुकेगा ऐसा अनुमान है.

      अनुभव जन्य एक नियम की बात और करना चाहूँगा कि जब गणना के द्वारा कोई निर्णय निकाला जाए और वह मैच वर्षा या अन्य कारणों से बाधित होकर कुछ छोटा हो जाता है या उस मैच के OVER  कम कर दिए जाते हैं, तो फिर ज्योतिषीय गणना से प्राप्त निर्णय सही नहीं ठहरता है ऐसा अनुभव है.
    

Saturday, April 7, 2018

VIVO IPL 2018 - Astrological View

         IPL के शुरू होते ही जैसे रोज शाम को  कोई मेला लगता हो मोहल्ले की पान-दुकान पर.खेल की अंतिम गेंद तक चलने वाला रोमांच लोगों को खींच लाता है टेलीविजन के आगे.भारत और अन्य  देशों की टीमों के मध्य मैच तो बहुत देखे पर भारत के अन्दर ही बनी टीमें जिसमें विश्व स्तर के सभी खिलाडी एक दुसरे के विरुद्ध या साथ खेलते हुए देखना एक अलग ही रोमांच उत्पन्न करता है.
       
      किसी भी खेल में यदि जीत और हार का ज्योतिषीय दृष्टिकोण से विश्लेषण करें तो कुछ एक ऐसे तरीके हैं जिससे ज्योतिष का अभ्यास करने वाले लोग ये जानने का प्रयत्न करते पाए जाते हैं कि आज कौन सी टीम की विजय होगी.आइये इन तरीकों के बारे में और इनमें उपस्थित त्रुटियों के बारे में भी जान लेते हैं जिसके कारण इन तरीकों से प्राप्त निष्कर्ष सदैव सही नहीं पाए जाते.
     
        प्रथम प्रकार में ज्योतिष के अभ्यासक उस स्थान विशेष की उस समय की कुंडली बनातेहैं जिस समय मैच शुरू होता है और इस कुंडली से निष्कर्ष बताते हैं, अब इस विधि में समस्या यह है,कि कुंडली में प्रथम भाव से एक टीम व दूसरी टीम को सप्तम भाव से देखा जाता है. अब यहाँ प्रश्न यह उठता है की किस टीम को लग्न माना जाए और किस को सप्तम. अपने - अपने तर्क हैं कि बल्लेबाजी करने वाली टीम को लग्न मानना चाहिए और गेंदबाजी करने वाली टीम को सप्तम. जब इस आधार पर किये गए फलादेश ठीक होते हैं तब तो ठीक लेकिन जब फलादेश बिलकुल विपरीत जा बैठता है, तो एक विचार उत्पन्न होता है,"कहीं उल्टा तो नहीं है"

     द्वितीय प्रकार में ज्योतिष अभ्यासक टीम के नाम से बनने  वाली राशि का मैच वाले  दिन के गोचर के चंद्रमा और मैच के समय चलने वाले लग्न के आधार पर तालमेल बिठाकर ये जानने का प्रयत्न करते हैं कि कौन जीतेगा. ये तरीका तो तार्किक रूप से ठीक प्रतीत होता है लेकिन मैच इतने करीबी होते हैं,कि जब किसी को भी अंतिम गेंद तक पता नहीं चलता की कौन जीतने वाला है तो ज्योतिष अभ्यासक के लिए इस सूक्ष्म बिंदु को कुंडली में पकड़ पाना कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है और फलादेश भी विपरीत जा बैठता है.

     तृतीय प्रकार में कृष्णमूर्ति पद्धति (KP) की Horary Astrology (प्रश्न ज्योतिष) शाखा में अभ्यास करने वाले अभ्यासक आते हैं जो प्रश्न पूछे जाने के समय को आधार मानकर उसकी कुंडली बनाते हैं और उस आधार पर ये बताने का प्रयत्न करते है की कौन जीतेगा. किसकी जीत होगी यह बताने के लिए ज्योतिष के कुछ सिद्धांतों का पालन किया जाता है, जो तार्किक रूप से सही हैं.यह प्रक्रिया सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है,लेकिन इसमें जो बात सबसे महत्वपूर्ण मानी गयी है वो यह है कि:-
      प्रश्न वास्तविक होना चाहिए जैसे यदि आपसे किसी ने प्रश्न किया कि आज कौन सी टीम जीतेगी और आपको पता नहीं है आज किसका मैच है ओ आपके लिए प्रश्न स्पष्ट ही नहीं हुआ है.यहाँ यदि पूछने वाला किसी टीम का नाम लेकर पूछता है कि आज फलां टीम मैच जीतेगी क्या तो आप उस टीम को लग्न और दूसरी टीम को सप्तम मानकर अपनी गणना कर सकते हैं.
     यदि आप स्वयं ये जानना चाहते हैं कि आज कौन सी  टीम जीतेगी और आपके सामने यही समस्या है कि किस टीम को लग्न माना जाए. इसके दो सामान्य तरीके हो सकते हैं पहला तो यह की मैच की लिस्ट में जिस टीम का नाम पहले हो उसे लग्न मान लिया जाए और दूसरा यह की आप दोनों टीमों के नाम की पर्चियां बना लें और फिर उसमें से एक पर्ची उठाये,उस पर्ची पर जिस टीम का नाम हो उसे लग्न मानकर गणना की जा सकती है.
    वास्तविक जिज्ञासा होने पर ही प्रश्न का सही उत्तर प्राप्त होता है,यदि कोई रोज रोज ऐसे ही आजमाने के लिए या सट्टा लगाने के लिए किसी भी पद्धति का प्रयोग करता है,तो ज्योतिष व ज्योतिषी दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है.अगले लेख में तीनों पद्धतियों को उदाहरण से समझाने का प्रयत्न करूंगा.

VIVO INDIAN PREMIER LEAGUE 2018 में खेलने वाली टीमें उनके कप्तानों,खिलाड़ियों व मालिकों को शुभकामनाएं.

CHENNAI SUPER KINGS   -  MAHENDRA SINGH DHONI
DELHI DAREDEVILS          - GAUTAM GAMBHIR
KINGS XI PUNJAB               - RAVICHANDRAN ASHWIN
KLKATA KNIGHT RIDERS - DINESH KARTIK
MUMBAI INDIANS              - ROHIT SHARMA
RAJASTHAN ROYALS         - AJINKYA RAHANE
ROYAL CHALLENGERS     - VIRAT KOHLI
BANGLORE
SUNRISERS HYDERABAD - KANE WILLIAMSON

Friday, April 6, 2018

सलमान खान - जन्म कुंडली विश्लेषण (CASE IN JODHPUR HIGH - COURT)

नाम :- सलमान खान
जन्म दिनांक :- 27 दिसंबर 1965
जन्म समय :- 2:30 pm
जन्म स्थान :- इंदौर
जन्म डाटा साभार astrosage.com

दिए गए जन्म समय के आधार पर सलमान खान की कुंडली मेष लग्न और कुम्भ राशि की बनती है जो नीचे  दी गयी है
                     लग्न का स्वामी मंगल दशम में मकर राशि में है, जो शुक्र के साथ है. इसे अग्नि (मंगल) व रसायन (शुक्र) का योग तथा पुरुष (मंगल) व स्त्री (शुक्र) का योग भी कहा गया है . भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम की कुण्डली  में भी मंगल व शुक्र की युति है, जो अग्नि व रसायन के प्रभाव के कारण उन्हें मिसाइल - मैन बना गयी.
        केंद्र के चार घर  व्यक्तित्व पर पूर्ण प्रभाव रखते हैं और इन चार घरों में केवल मंगल व शुक्र स्थित हैं जिनमें से एक लग्न का व दूसरा सप्तम का स्वामी है,अब देखा जाए तो सलमान के बारे में जब भी विचार हो तो जो बात प्रमुखता से होती है वह उनके सुगठित शरीर और उसका प्रदर्शन तथा उनके जीवन में आने वाली महिलाएं अर्थात उनके जीवन में इन दो ग्रहों का प्रभाव पूर्ण रूप से दृष्टिगोचर हो रहा है.अन्य कोई विशेष बात जिनसे उनकी छवि बनती हो तो जरूर बताएँ.

                      सलमान खान को लेकर यदि वर्तमान सन्दर्भ में यदि बात करें तो जो बातें देखने को मिलती है वो प्रस्तुत  हैं -

 शनि व चन्द्रमा की युति जीवन में विषाद उत्पन्न करती है. इनकी कुण्डली  में यह युति एकादश भाव में बनी हुई है, जो जीवन में ऐसी घटनाओं की सृष्टि करवाती है जिनसे जीवन में विषाद बना रहे और मन व्याकुल रहे, इसमें जो बात ठीक है वो यह की इस युति पर गुरु की दृष्टि है और गुरु की दृष्टि को अमृत के सामान माना गया है अतः शनि चन्द्र की युति से बनने  वाले "विष - योग" को गुरु की अमृत वर्षा संतुलित कर रही है.
      यह इनकी कुंडली का स्थाई योग है अतः ये स्थितियां आजीवन चलती रहेगी.
वर्तमान में सलमान खान को शनि की दशा में राहु की अंतरदशा  चल रही है, और ज्योतिष की विंशोत्तरी दशा पद्धति में कुछ दशा व अन्तर्दशा के क्रम को बहुत ही अशुभ माना गया है जिनमें सबसे प्रमुख है शनि व राहु.
          साधु (शनि) के गले में सर्प(राहु) से उत्पन्न  होने वाले श्राप की तुलना इस ग्रह योग से की गयी है और इसका निराकरण भी एक साधु द्वारा ही किया जाता है. अतः यदि सलमान खान किसी साधु की शरण में जाकर पश्चाताप करे और इश्वर के ध्यान के मार्ग में कम से काम सात दिन बिताये तो इस अन्तर्दशा के दुष्परिणामों को कुछ कम किया जा सकता है.मेरा तो यही सुझाव है.
        फिर कभी सलमान की कुंडली का पूर्ण विश्लेषण पस्तुत करने का प्रयत्न करूंगा.