ASTROLOGICAL SIGNS - ज्योतिषीय राशियाँ
प्रत्येक राशि के बारे में विस्तार से चर्चा करने से पहले राशियों का विभिन्न प्रकार का वर्गीकरण पढ़ना और समझना उचित रहता है. इससे राशियों के स्वाभाव को समझने में मदद मिलती है.आइये चर्चा करते हैं राशियों के इस महत्वपूर्ण पक्ष के बारे में :-
राशियाँ मूलतः बारह होती हैं,इनको विशेषताओं और गुणों के आधार पर अलग-अलग गुटों में विभाजित किया गया है जो कि कुछ राशियों की आपस में समानता और उस राशि की अन्य राशियों से असमानता को व्यक्त करते हैं:-
मूलराशियाँ: मेष"ARIES", वृषभ"TAURUS", मिथुन"GEMINI", कर्क"CANCER", सिंह"LEO", कन्या"VIRGO", तुला"LIBRA", वृश्चिक"SCORPIO", धनु"SAGITTARIUS", मकर"CAPRICON", कुम्भ"AQUARIUS", मीन"PISCES".
इन बारह राशियों का अलग-अलग वर्गीकरण इस प्रकार है:-
1. तत्वों के आधार पर: अग्नि"FIRE", पृथ्वी"EARTH", वायु"AIR" और जल"WATER" . सर्वप्रथम बात करते हैं, कि जब तत्व संख्या में पांच माने गए हैं,तो फिर राशियों को चार तत्वों में ही क्यों विभाजित किया गया. क्या केवल इसलिए कि बारह राशियाँ पांच तत्वों के वर्गीकरण में बराबर नहीं आ पाती या इसका कारण कुछ और है. पढ़ने को तो नहीं मिला लेकिन अल्प बुद्धि से जितना समझ में आया वही लिखने का साहस कर रहा हूँ . आशा है,कि प्रबुद्ध पाठकगण पढकर कुछ सुधार करेंगे .
अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल ये चार तत्व केवल मनुष्य के शरीर का निर्माण करते हैं जबकि चेतन तत्व या कहें तो आत्मा का विकास आकाश तत्व के द्वारा होता है . इसी प्रकार हो सकता है,कि इन बारह राशियों में केवल शरीर के निर्माण का सामर्थ्य हो आत्म तत्व के विकास का न हो और इसीलिये इन बारह राशियों का वर्गीकरण केवल चार तत्वों में ही किया गया हो. आइये आगे चर्चा करते हैं इन चार प्रकारों के बारे में:-
अग्नि तत्व वाली राशियाँ"FIERY SIGNS":- अग्नि तत्व के अंतर्गत तीन राशियाँ आती हैं - मेष"ARIES", सिंह"LEO" और धनु"SAGITTARIUS". इन राशियों में अग्नि"FIRE" का गुण विशेष रूप से पाया जाता है. सर्वप्रथम बात तो यह है कि इन्हें अपना पूर्ण प्रभाव दिखने के लिए विशेष माध्यम व परिस्थितियों की आवश्यकता होती है, जिनमें ये अपना सौ प्रतिशत दे पाते हैं, अन्यथा नहीं . इनमें सदैव आगे बढ़ने की ऊर्जा विद्यमान रहती है . इनकी रोग-प्रतिरोधक शक्ति काफी अच्छी होती है . इनकी सदैव जीतने की इच्छा होती है . इनमें आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं होती है . कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करने में हिचकते नहीं हैं.
ये राशियाँ जीवन बल से सम्बंधित होती हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात कि इनका अध्यात्मिक पक्ष आतंरिक रूप से काफी प्रबल होता है, क्योंकि नैसर्गिक कुंडली में ये - एक,पांच और नौ मिलकर चार त्रिकोणों में से धर्मं त्रिकोण का निर्माण करते हैं . अब बात करे तीनों की अलग-अलग तो मेष राशि कालपुरुष के सिर को सूचित करती है और मंगल"MARS" के स्वामित्व में होने के कारण स्वयं के शरीर और दूसरों को भी जला देने वाले क्रोध"ANGER" पर इसीका अधिकार होता है, या कहें तो मष्तिष्क की शक्ति पर प्राकृतिक रूप से इसी राशि का अधिकार होता है . सिंह राशि कालपुरुष के उदर को व्यक्त करती है और सूर्य"SUN" के स्वामित्व में होने के कारण एक तो जठराग्नि पर इसका पूर्ण नियंत्रण होता है, क्योंकि जठराग्नि ही भोजन का पाचन कर हमें जीवन जीने की ऊर्जा प्रदान करती है और यही कार्य सूर्य भी करता है:जीवन जीने की ऊर्जा देने का . धनु राशि जंघा का स्वामित्व रखती है और धर्मं त्रिकोण की सबसे महत्वपूर्ण राशिऔर होने कारण श्रद्धा पर इसका अधिकार होता है . ये धार्मिक अग्नि से प्रखर राशि है तथा इस पर गुरु"JUPITER"का अधिकार होता है. मेष राशि तमोगुणी, सिंह राशि रजोगुणी और धनु राशि सत्वगुणी है .
पृथ्वी तत्व वाली राशियाँ"EARTHY SIGNS":- पृथ्वी तत्व के अंतर्गत भी तीन राशियाँ आती हैं - वृषभ"TAURUS", कन्या"VIRGO" और मकर"CAPRICORN" . इन राशियों में पृथ्वी का गुण विशेषरूप से पाया जाता है, कि ये कुछ न कुछ छिपाकर रखते हैं, जो केवल इनके गर्भ में ही रहता है . गति धीमी होती है पर धैर्य..... लाजवाब . इनके अंदर की खूबी को कोई पहचान ले तो इन्हें आसमान की ऊंचाइयों तक ले जा सकता है पर ये स्वयं को पहचान नहीं पाते . इनका व्यक्तित्व बहुमुखी होता है . कभी एक दायरे में नहीं बंध पाते . ये तीन राशियाँ वृषभ, कन्या और मकर मिलकर चार त्रिकोणों में से अर्थ त्रिकोण का निर्माण करते हैं इसलिए ये राशियाँ अर्थप्रधान होती है और स्थिरता की सूचक होती हैं . पृथ्वीतत्वीय राशियाँ शारीरिक ढाँचे से सम्बंधित होती है .अलग-अलग बात करें तो वृषभ राशि शुक्र"VENUS" के स्वामित्व में होने के कारण फल-फूल से सम्बंधित . चेहरे की सुंदरता को बढ़ाने के लिए काम में ली जाने वाली मिट्टी भी इसी राशि के द्वारा देखी जायेगी . कन्या राशि पर बुध"MERCURY" का आधिपत्य है और छठे भाव अर्थात पेट से सम्बंधित होने कारण खेती की जमीन इस राशि के अधिकार क्षेत्र में आती है . मकर राशि शनि"SATURN" के स्वामित्व में होने के कारण रेतीली, बर्फीली जमीन बियाबान उजाड जमीन इस राशि के आधिपत्य में आती है.
वायुतत्व वाली राशियाँ"AIRY SIGNS" :-
वायुतत्व के अंतर्गत तीन राशियाँ आती हैं मिथुन"GEMINI", तुला"LIBRA" और कुम्भ"AQUARIUS". वायु अर्थात लगातार गतिशील, अतः ये लोग निरंतर गतिशील होते हैं . वायु का सबसे बड़ा गुण है, कि इसे जिस आकार के पात्र में डाला जाये उसके समान आकार तो ग्रहण कर लेती है परन्तु इसकी मूलभूत प्रकृति में कोई बदलाव नहीं होता है . यहाँ थोड़ा विरोधाभास हो सकता है लेकिन फिर भी समझने का प्रयास करते है, कि वायु तत्व वाले आवश्यकता पड़ने पर किसी प्रकार के माहौल में गुजारा तो कर लेते हैं पर उनके मूलभूत स्वभाव को बदलना मुश्किल होता है . इनकी कल्पनाशक्ति काफी अच्छी और तेज होती है . इनके मष्तिष्क में नए विचारों का आवागमन बड़ी तेजी के साथ होता है . इन राशियों का सम्बन्ध मष्तिष्क के अनुभवों के साथ होता है . ये कला प्रेमी होते हैं , अच्छे सलाहकार हो सकते हैं . जिन कार्यों में शरीर की अपेक्षा मष्तिष्क का अधिक प्रयोग करना पड़ता हो वहाँ वायु तत्व वाले अच्छी तरह सामंजस्य बैठा सकते हैं . मिथुन राशि का सम्बन्ध बुध"MERCURY" से होने के फलस्वरूप इनका भाषा पर अच्छा प्रभुत्व होता है . कल्पनाशक्ति, गणित, तर्क-शक्ति और लेखन कला अच्छी होती है . तुला राशि पर शुक्र"VENUS" का प्रभाव है अतः ये लोग कला-मर्मज्ञ होते हैं ,कारोबारी समझ अच्छी होती है , स्वाभाव सौम्य होता है . शनि "SATURN"कुम्भ राशि का मालिक है अतः कुम्भ वाले लोग एकांत में चिंतन के शौक़ीन होते हैं . कुम्भ लगातार अभ्यास करने वाली राशि है . कुम्भ राशि की वैचारिक शक्ति बड़ी ही उच्च कोटि की होती है . अलग तरीके से देखें तो मिथुन की वायु नयी शक्ति का संचार करने वाली, तुला की वायु शीतलता प्रदान करने वाली और कुम्भ की वायु ठंडी हवा के समान होती है.
जल तत्व वाली राशियाँ"WATERY SIGNS" :-
जल तत्व के अंतर्गत तीन राशियाँ आती हैं, कर्क"CANCER", वृश्चिक"SCORPIO" और मीन"PISCES". जल के बारे में लीक से हटते हुए एक गीत की दो पंक्तियाँ कहना चाहूँगा जो शायद जल तत्व की विशिष्टता को समझाने में मदद कर सके :-
" पानी रे पानी तेरा रंग कैसा , जिसमें मिलादो लगे उस जैसा "
जल तत्व की सबसे बड़ी विशेषता यही होती है, कि यह पात्र के आकार के साथ-साथ उसकी प्रकृति को भी ग्रहण कर लेती है . ये राशियाँ शारीरिक संरचना में थोड़ी कमजोर होती है . ये स्वभाव से थोड़े से सनकी होते हैं . ऊर्जा की कमी से जूझते हैं तथा ये जातक बहुत ही भावुक किस्म के होते हैं . कर्क राशि चूंकि चन्द्रमा"MOON" के अधीन होती है और चन्द्रमा स्वयं भी जल कारक ग्रह है अतः इस पर जल तत्व का पूर्ण प्रभाव दृष्टिगोचर होता है . कर्क राशि नैसर्गिक कुंडली में चतुर्थ यानि कि घर के स्थान में पड़ती है इसीलिये इस राशि से घर में पाए जाने वाले जल का विचार किया जाता है . जबकि वृश्चिक अर्थात् मंगल"MARS" की राशि अष्टम भाव में होने के कारण गन्दा जल या उत्सर्जित जल का विचार इसके द्वारा किया जाता है . मीन राशि या कहें तो दो मछलियों वाली राशि जो गुरु"JUPITER" की राशि है, सागर के जल से सम्बंधित होती है . ये भावनाओं को दबाकर रखने वाले , संवेदनशील और रहस्यमयी सोच वाले होते हैं .
इस प्रकार राशियों के तत्व आधारित वर्गीकरण को पढ़ने के बाद हम आगे इनके और कुछ वर्गीकरणों को पढते हुए प्रत्येक राशि के मूल पर पहुंचकर उन पर विस्तार से चर्चा करेंगे .
ASTROLOGICAL SIGNS - ज्योतिषीय राशियाँ
प्रत्येक राशि के बारे में विस्तार से चर्चा करने से पहले राशियों का विभिन्न प्रकार का वर्गीकरण पढ़ना और समझना उचित रहता है. इससे राशियों के स्वाभाव को समझने में मदद मिलती है.आइये चर्चा करते हैं राशियों के इस महत्वपूर्ण पक्ष के बारे में :-
राशियाँ मूलतः बारह होती हैं,इनको विशेषताओं और गुणों के आधार पर अलग-अलग गुटों में विभाजित किया गया है जो कि कुछ राशियों की आपस में समानता और उस राशि की अन्य राशियों से असमानता को व्यक्त करते हैं:-
मूलराशियाँ: मेष"ARIES", वृषभ"TAURUS", मिथुन"GEMINI", कर्क"CANCER", सिंह"LEO", कन्या"VIRGO", तुला"LIBRA", वृश्चिक"SCORPIO", धनु"SAGITTARIUS", मकर"CAPRICON", कुम्भ"AQUARIUS", मीन"PISCES".
इन बारह राशियों का अलग-अलग वर्गीकरण इस प्रकार है:-
1. तत्वों के आधार पर: अग्नि"FIRE", पृथ्वी"EARTH", वायु"AIR" और जल"WATER" . सर्वप्रथम बात करते हैं, कि जब तत्व संख्या में पांच माने गए हैं,तो फिर राशियों को चार तत्वों में ही क्यों विभाजित किया गया. क्या केवल इसलिए कि बारह राशियाँ पांच तत्वों के वर्गीकरण में बराबर नहीं आ पाती या इसका कारण कुछ और है. पढ़ने को तो नहीं मिला लेकिन अल्प बुद्धि से जितना समझ में आया वही लिखने का साहस कर रहा हूँ . आशा है,कि प्रबुद्ध पाठकगण पढकर कुछ सुधार करेंगे .
अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल ये चार तत्व केवल मनुष्य के शरीर का निर्माण करते हैं जबकि चेतन तत्व या कहें तो आत्मा का विकास आकाश तत्व के द्वारा होता है . इसी प्रकार हो सकता है,कि इन बारह राशियों में केवल शरीर के निर्माण का सामर्थ्य हो आत्म तत्व के विकास का न हो और इसीलिये इन बारह राशियों का वर्गीकरण केवल चार तत्वों में ही किया गया हो. आइये आगे चर्चा करते हैं इन चार प्रकारों के बारे में:-
अग्नि तत्व वाली राशियाँ"FIERY SIGNS":- अग्नि तत्व के अंतर्गत तीन राशियाँ आती हैं - मेष"ARIES", सिंह"LEO" और धनु"SAGITTARIUS". इन राशियों में अग्नि"FIRE" का गुण विशेष रूप से पाया जाता है. सर्वप्रथम बात तो यह है कि इन्हें अपना पूर्ण प्रभाव दिखने के लिए विशेष माध्यम व परिस्थितियों की आवश्यकता होती है, जिनमें ये अपना सौ प्रतिशत दे पाते हैं, अन्यथा नहीं . इनमें सदैव आगे बढ़ने की ऊर्जा विद्यमान रहती है . इनकी रोग-प्रतिरोधक शक्ति काफी अच्छी होती है . इनकी सदैव जीतने की इच्छा होती है . इनमें आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं होती है . कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करने में हिचकते नहीं हैं.
ये राशियाँ जीवन बल से सम्बंधित होती हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात कि इनका अध्यात्मिक पक्ष आतंरिक रूप से काफी प्रबल होता है, क्योंकि नैसर्गिक कुंडली में ये - एक,पांच और नौ मिलकर चार त्रिकोणों में से धर्मं त्रिकोण का निर्माण करते हैं . अब बात करे तीनों की अलग-अलग तो मेष राशि कालपुरुष के सिर को सूचित करती है और मंगल"MARS" के स्वामित्व में होने के कारण स्वयं के शरीर और दूसरों को भी जला देने वाले क्रोध"ANGER" पर इसीका अधिकार होता है, या कहें तो मष्तिष्क की शक्ति पर प्राकृतिक रूप से इसी राशि का अधिकार होता है . सिंह राशि कालपुरुष के उदर को व्यक्त करती है और सूर्य"SUN" के स्वामित्व में होने के कारण एक तो जठराग्नि पर इसका पूर्ण नियंत्रण होता है, क्योंकि जठराग्नि ही भोजन का पाचन कर हमें जीवन जीने की ऊर्जा प्रदान करती है और यही कार्य सूर्य भी करता है:जीवन जीने की ऊर्जा देने का . धनु राशि जंघा का स्वामित्व रखती है और धर्मं त्रिकोण की सबसे महत्वपूर्ण राशिऔर होने कारण श्रद्धा पर इसका अधिकार होता है . ये धार्मिक अग्नि से प्रखर राशि है तथा इस पर गुरु"JUPITER"का अधिकार होता है. मेष राशि तमोगुणी, सिंह राशि रजोगुणी और धनु राशि सत्वगुणी है .
ये राशियाँ जीवन बल से सम्बंधित होती हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात कि इनका अध्यात्मिक पक्ष आतंरिक रूप से काफी प्रबल होता है, क्योंकि नैसर्गिक कुंडली में ये - एक,पांच और नौ मिलकर चार त्रिकोणों में से धर्मं त्रिकोण का निर्माण करते हैं . अब बात करे तीनों की अलग-अलग तो मेष राशि कालपुरुष के सिर को सूचित करती है और मंगल"MARS" के स्वामित्व में होने के कारण स्वयं के शरीर और दूसरों को भी जला देने वाले क्रोध"ANGER" पर इसीका अधिकार होता है, या कहें तो मष्तिष्क की शक्ति पर प्राकृतिक रूप से इसी राशि का अधिकार होता है . सिंह राशि कालपुरुष के उदर को व्यक्त करती है और सूर्य"SUN" के स्वामित्व में होने के कारण एक तो जठराग्नि पर इसका पूर्ण नियंत्रण होता है, क्योंकि जठराग्नि ही भोजन का पाचन कर हमें जीवन जीने की ऊर्जा प्रदान करती है और यही कार्य सूर्य भी करता है:जीवन जीने की ऊर्जा देने का . धनु राशि जंघा का स्वामित्व रखती है और धर्मं त्रिकोण की सबसे महत्वपूर्ण राशिऔर होने कारण श्रद्धा पर इसका अधिकार होता है . ये धार्मिक अग्नि से प्रखर राशि है तथा इस पर गुरु"JUPITER"का अधिकार होता है. मेष राशि तमोगुणी, सिंह राशि रजोगुणी और धनु राशि सत्वगुणी है .
पृथ्वी तत्व वाली राशियाँ"EARTHY SIGNS":- पृथ्वी तत्व के अंतर्गत भी तीन राशियाँ आती हैं - वृषभ"TAURUS", कन्या"VIRGO" और मकर"CAPRICORN" . इन राशियों में पृथ्वी का गुण विशेषरूप से पाया जाता है, कि ये कुछ न कुछ छिपाकर रखते हैं, जो केवल इनके गर्भ में ही रहता है . गति धीमी होती है पर धैर्य..... लाजवाब . इनके अंदर की खूबी को कोई पहचान ले तो इन्हें आसमान की ऊंचाइयों तक ले जा सकता है पर ये स्वयं को पहचान नहीं पाते . इनका व्यक्तित्व बहुमुखी होता है . कभी एक दायरे में नहीं बंध पाते . ये तीन राशियाँ वृषभ, कन्या और मकर मिलकर चार त्रिकोणों में से अर्थ त्रिकोण का निर्माण करते हैं इसलिए ये राशियाँ अर्थप्रधान होती है और स्थिरता की सूचक होती हैं . पृथ्वीतत्वीय राशियाँ शारीरिक ढाँचे से सम्बंधित होती है .अलग-अलग बात करें तो वृषभ राशि शुक्र"VENUS" के स्वामित्व में होने के कारण फल-फूल से सम्बंधित . चेहरे की सुंदरता को बढ़ाने के लिए काम में ली जाने वाली मिट्टी भी इसी राशि के द्वारा देखी जायेगी . कन्या राशि पर बुध"MERCURY" का आधिपत्य है और छठे भाव अर्थात पेट से सम्बंधित होने कारण खेती की जमीन इस राशि के अधिकार क्षेत्र में आती है . मकर राशि शनि"SATURN" के स्वामित्व में होने के कारण रेतीली, बर्फीली जमीन बियाबान उजाड जमीन इस राशि के आधिपत्य में आती है.
वायुतत्व के अंतर्गत तीन राशियाँ आती हैं मिथुन"GEMINI", तुला"LIBRA" और कुम्भ"AQUARIUS". वायु अर्थात लगातार गतिशील, अतः ये लोग निरंतर गतिशील होते हैं . वायु का सबसे बड़ा गुण है, कि इसे जिस आकार के पात्र में डाला जाये उसके समान आकार तो ग्रहण कर लेती है परन्तु इसकी मूलभूत प्रकृति में कोई बदलाव नहीं होता है . यहाँ थोड़ा विरोधाभास हो सकता है लेकिन फिर भी समझने का प्रयास करते है, कि वायु तत्व वाले आवश्यकता पड़ने पर किसी प्रकार के माहौल में गुजारा तो कर लेते हैं पर उनके मूलभूत स्वभाव को बदलना मुश्किल होता है . इनकी कल्पनाशक्ति काफी अच्छी और तेज होती है . इनके मष्तिष्क में नए विचारों का आवागमन बड़ी तेजी के साथ होता है . इन राशियों का सम्बन्ध मष्तिष्क के अनुभवों के साथ होता है . ये कला प्रेमी होते हैं , अच्छे सलाहकार हो सकते हैं . जिन कार्यों में शरीर की अपेक्षा मष्तिष्क का अधिक प्रयोग करना पड़ता हो वहाँ वायु तत्व वाले अच्छी तरह सामंजस्य बैठा सकते हैं . मिथुन राशि का सम्बन्ध बुध"MERCURY" से होने के फलस्वरूप इनका भाषा पर अच्छा प्रभुत्व होता है . कल्पनाशक्ति, गणित, तर्क-शक्ति और लेखन कला अच्छी होती है . तुला राशि पर शुक्र"VENUS" का प्रभाव है अतः ये लोग कला-मर्मज्ञ होते हैं ,कारोबारी समझ अच्छी होती है , स्वाभाव सौम्य होता है . शनि "SATURN"कुम्भ राशि का मालिक है अतः कुम्भ वाले लोग एकांत में चिंतन के शौक़ीन होते हैं . कुम्भ लगातार अभ्यास करने वाली राशि है . कुम्भ राशि की वैचारिक शक्ति बड़ी ही उच्च कोटि की होती है . अलग तरीके से देखें तो मिथुन की वायु नयी शक्ति का संचार करने वाली, तुला की वायु शीतलता प्रदान करने वाली और कुम्भ की वायु ठंडी हवा के समान होती है.
जल तत्व वाली राशियाँ"WATERY SIGNS" :-
जल तत्व के अंतर्गत तीन राशियाँ आती हैं, कर्क"CANCER", वृश्चिक"SCORPIO" और मीन"PISCES". जल के बारे में लीक से हटते हुए एक गीत की दो पंक्तियाँ कहना चाहूँगा जो शायद जल तत्व की विशिष्टता को समझाने में मदद कर सके :-
जल तत्व के अंतर्गत तीन राशियाँ आती हैं, कर्क"CANCER", वृश्चिक"SCORPIO" और मीन"PISCES". जल के बारे में लीक से हटते हुए एक गीत की दो पंक्तियाँ कहना चाहूँगा जो शायद जल तत्व की विशिष्टता को समझाने में मदद कर सके :-
" पानी रे पानी तेरा रंग कैसा , जिसमें मिलादो लगे उस जैसा "
जल तत्व की सबसे बड़ी विशेषता यही होती है, कि यह पात्र के आकार के साथ-साथ उसकी प्रकृति को भी ग्रहण कर लेती है . ये राशियाँ शारीरिक संरचना में थोड़ी कमजोर होती है . ये स्वभाव से थोड़े से सनकी होते हैं . ऊर्जा की कमी से जूझते हैं तथा ये जातक बहुत ही भावुक किस्म के होते हैं . कर्क राशि चूंकि चन्द्रमा"MOON" के अधीन होती है और चन्द्रमा स्वयं भी जल कारक ग्रह है अतः इस पर जल तत्व का पूर्ण प्रभाव दृष्टिगोचर होता है . कर्क राशि नैसर्गिक कुंडली में चतुर्थ यानि कि घर के स्थान में पड़ती है इसीलिये इस राशि से घर में पाए जाने वाले जल का विचार किया जाता है . जबकि वृश्चिक अर्थात् मंगल"MARS" की राशि अष्टम भाव में होने के कारण गन्दा जल या उत्सर्जित जल का विचार इसके द्वारा किया जाता है . मीन राशि या कहें तो दो मछलियों वाली राशि जो गुरु"JUPITER" की राशि है, सागर के जल से सम्बंधित होती है . ये भावनाओं को दबाकर रखने वाले , संवेदनशील और रहस्यमयी सोच वाले होते हैं .
इस प्रकार राशियों के तत्व आधारित वर्गीकरण को पढ़ने के बाद हम आगे इनके और कुछ वर्गीकरणों को पढते हुए प्रत्येक राशि के मूल पर पहुंचकर उन पर विस्तार से चर्चा करेंगे .
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