Saturday, August 22, 2015

कर्म और भाग्य - ३

         समझ और नासमझी का अंतर समझें या समझ समझ कर नासमझी की जिद -
                        एक प्रश्न जो हमेशा से ज्योतिष का ज्ञान रखने वाले लोगों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण और पेचीदा रहा है , जितना कि सामान्य जन मानस के लिए . और वह प्रश्न है कि जीवन में कर्म अधिक महत्वपूर्ण है या भाग्य ...............
   
                 
                                     एक बार इसी ब्लॉग पर यह क्रम शुरू किया था पर किन्हीं कारणों से पूरा नहीं लिख पाया था देखें -कर्म और भाग्य - १ तथा कर्म और भाग्य - २   इन लेखों में रामचरितमानस महाभारत और रामायण के उदाहरणों से इस विषय को समझना शुरू किया था पर पूर्ण नहीं कर पाए थे . अब इस विषय पर एक और प्रयास कर रहा हूँ और इसी क्रम सबसे पहले सामान्यजन और ज्योतिष ज्ञानार्जन करने वालों से आग्रह है की वे अपने विचारों से अवगत कराएं ताकि सभी को इस विषय में भागीदारी करने का मौका मिले .............

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