ये उस ज्योतिषी की बौद्धिक क्रियाशीलता पर निर्भर करता है, कि वह उस संकेत को कितनी अच्छी तरह समझकर उसका विश्लेषण कर जातक की सहायता कर पाता है। तब से कई बार इस विधा का प्रयोग ज्योतिष के फलकथन के लिए कर चुका हूँ और ये कह सकता हूँ कि अच्छे परिणाम भी प्राप्त होते आये हैं, लेकिन मैं हर बार इस विश्लेषण में सफल रहा हूँ ऐसी कोई अतिशयोक्ति नहीं करूँगा, हाँ इतनी बात अवश्य है, कि जब भी कुछ कमी रही है तो वो मेरे विश्लेषण करने में ही रही है.
आज ये विधा भी मेरे लिए ज्योतिष में उतना ही महत्त्व रखती है जितना कि अन्य विधाएं। अपने छोटे से ज्योतिष-विद्यार्थी जीवन में घटित हुए कुछ उदाहरण यहाँ दे रहा हूँ जिनका निष्कर्ष संकेत विधि द्वारा इतना सटीक बैठा यदि उस समय मैं अपनी पूरी ऊर्जा लगाकर भी प्रयत्न करता तो शायद कुंडली से इतना सटीक निष्कर्ष नहीं दे पाता।
मेरे एक दोस्त हैं 'हरिशंकर आचार्य' और सच कहूं तो मेरे बड़े भाई ही हैं। सन २००४-२००५ की बात है ,इन दो वर्षों में इन्होंने मुझसे तकरीबन ८ से ९ बार बार ये प्रश्न किया कि -
मेरा कर्म क्षेत्र क्या होगा ?
मैं क्या काम करूँगा ?
अब इसे संयोग कहें या ईश्वर की अनुकम्पा कि जब - जब भी उन्होंने मुझसे ये सवाल किया तब - तब कोई अखबार या अखबारवाला, कोई न्यूज़ चैनल या पब्लिक और मीडिया से सम्बंधित मुझे कुछ न कुछ मिल ही जाता। कई दिनों तक उनकी जन्मपत्री से माथाफोड़ी भी की लेकिन शुरुआती दौर में होने से इतना स्पष्ट नहीं हो पाया जितना ये चाहते थे, तो मैंने एक दिन संकेतों को आधार बनाते हुए उनसे कह ही दिया कि आप जो भी काम करेंगे उसमें अखबार, मीडिया जनता की भागीदारी होगी ,समाचारों से जुडा हुआ काम होगा और उसके लिए आपको छोटी - छोटी यात्राएं भी करनी पड़ेगी। सोचा था कि सच हो गया तो ठीक है और अगर सही नहीं हुआ तो कह दूंगा कि मजाक कर रहा था संकेतों से भला क्या फलकथन मिलता है। पर वर्तमान में क्या आप सोच सकते हैं कि ये क्या कर रहे हैं. वर्तमान में हरि भाईसाब राजस्थान के नागौर जिले में APRO के पद को संभाल रहे हैं जहां इनको जिलाधीश कार्यालय की खबरों और मीडिया के बीच संयोजक का कार्य करना पड़ता है, लगातार विभिन्न पत्रिकाओं में आप लिखते रहते हैं और छोटी - छोटी यात्राएं लगातार चलती रहती है। तो ये है संकेतों की चमत्कारिता।
मेरा कर्म क्षेत्र क्या होगा ?
मैं क्या काम करूँगा ?
अब इसे संयोग कहें या ईश्वर की अनुकम्पा कि जब - जब भी उन्होंने मुझसे ये सवाल किया तब - तब कोई अखबार या अखबारवाला, कोई न्यूज़ चैनल या पब्लिक और मीडिया से सम्बंधित मुझे कुछ न कुछ मिल ही जाता। कई दिनों तक उनकी जन्मपत्री से माथाफोड़ी भी की लेकिन शुरुआती दौर में होने से इतना स्पष्ट नहीं हो पाया जितना ये चाहते थे, तो मैंने एक दिन संकेतों को आधार बनाते हुए उनसे कह ही दिया कि आप जो भी काम करेंगे उसमें अखबार, मीडिया जनता की भागीदारी होगी ,समाचारों से जुडा हुआ काम होगा और उसके लिए आपको छोटी - छोटी यात्राएं भी करनी पड़ेगी। सोचा था कि सच हो गया तो ठीक है और अगर सही नहीं हुआ तो कह दूंगा कि मजाक कर रहा था संकेतों से भला क्या फलकथन मिलता है। पर वर्तमान में क्या आप सोच सकते हैं कि ये क्या कर रहे हैं. वर्तमान में हरि भाईसाब राजस्थान के नागौर जिले में APRO के पद को संभाल रहे हैं जहां इनको जिलाधीश कार्यालय की खबरों और मीडिया के बीच संयोजक का कार्य करना पड़ता है, लगातार विभिन्न पत्रिकाओं में आप लिखते रहते हैं और छोटी - छोटी यात्राएं लगातार चलती रहती है। तो ये है संकेतों की चमत्कारिता।
दूसरे उदाहरण के तौर पर मैं एक छोटी सी घटना का उल्लेख करना चाहूँगा। एक बार मैं अपने दोस्तों के साथ मंदिर जा रहा था उस समय बीकानेर में शादियों का ओलम्पिक चल रहा था। कहने का मतलब खूब शादियाँ हो रही थी। उसी दौरान सड़क पर मेरे एक मित्र जिसकी उम्र उस समय करीब ३३ वर्ष की रही होगी, वह झटपट मेरे पास आया और पूछा
"यार सुना है कि तू ज्योतिषी बन गया है बता "मेरी शादी कब होगी " उसका पूछना हुआ और मेरे पास से एक नवविवाहित जोड़ा गुजरा मैंने आव देखा न ताव और झट से कह दिया कि इसी सीजन में तेरी शादी हो जायेगी। उसने कहा मजाक मत कर कुछ देख कर बता मैंने कहा मैं इक्कीसवीं सदी का ज्योतिषी हूँ इतना समय थोड़े ही लगता है और कमाल की बात २ महीने बाद उसकी शादी हो गयी। है न चमत्कार।
संकेतों का महत्त्व स्पष्ट करना ही मुख्य उद्देश्य था बाकी अनुभव धीरे - धीरे बांटते रहेंगे !
तो ऐसा है संकेतों का विज्ञान। पाठक यदि चाहें तो स्वयं भी समस्याएं आने पर ईश्वर की इस मदद का लाभ उठा सकते हैं।
ईश्वर सब को संकेत देता है पढने वाला चाहिए।
!! जय गणेश !!
!! जय जय गणेश !!
आज का टिप:- आफ़िस या अपने कार्यक्षेत्र में किसी प्रकार के दबाव या समस्या में चल रहे व्यक्तियों को श्रीमद्भागवद्गीता के विभूतियोग नामक अध्याय का नित्य पठन करना चाहिए लाभ मिलता है।
ईश्वर तो संकेत देता है पर हम लोग ही समझ नहीं पाते ,अच्छा लगा आपका यह लेख
ReplyDeleteसंकेतों का महत्त्व जाना.
ReplyDeleteआभार
बहुत अच्छा आलेख....!पर इन संकेतों को जानने की विधा हर किसी के पास कहाँ ?
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ReplyDeleteAhyatm Darshan me sanketo ka bahut mahatva hai. Parmatma pag pag me har achhi, buri ghatnaon ka sanket deti hai. hame use janane ke liye apni indriyon ko jagrit karna padega.
ReplyDeleteApka lekh bahut achha hai...
Excellent...
श्री राम जी नमस्कार में भुवनेश नोखा से - आपके लेखों का लगातार अनुसरण कर रहा हूँ और उनमे आपकी क्रियाशीलता खूब अच्छी लग रही है. आपका इस अल्प आयु में भी अनुभव बहुत अच्छा है. और आपके आलेखों से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है. जहाँ तक संकेतो और भविष्य कि गति को समझने का प्रशन है. तो आदि काल से ही मनुष्य मौसम ग्रहदशा शगुन अपशगुन आदि माध्यमों से संकेतों को समझने की चेष्टा करता आ रहा है. जिस किसी भी व्यक्ति को भारतीय संस्कृति की थोड़ी बहुत भी समझ है वो इसे सहजता से स्वीकारेगा परन्तु हर ज्योतिषी या साधारण व्यक्ति के संकेतों के अर्थ समझाने की योग्यता भी अनुभव और परिस्थितियों के हिसाब से भिन्न - भिन्न होती है. हर व्यक्ति अपनी बुद्धि और अनुभव के आधार पर सदा से ही इन संकेतों को interpret करने का यत्न करता रहता है. मैं भी प्रायह इसका प्रयास करता हूँ और राम चरित मानस की प्रश्नावली की भी मैंने एक या दो बार सहायता ली है. और अनुकूल परिणाम भी मिलें हैं .मेरा ये मानना है कि कुशल से कुशल ज्योतिषी भी जो फलादेश करता है वो ईश्वर का संकेत और इच्छा ही होती है. मेरे जीवन में भी कईं बार भविष्य को संकेतो से समझने के अनुभव रहें है और जब जब में किसी को इन संकेतों के माध्यम से बताने का प्रयास किया तो फलित होने पर काली जुबान होने का लांछन ही मिला. तो क्या हर किसी को आपनी शंकाओं को भविष्य वाणी का रूप देकर व्यक्त करने की स्वतंत्रता है. या उसे समय परिस्थिति अनुकूलता आदि तथ्यों का ध्यान रखतें हुए जुबान खोलनी चाहिए .आपके ज्योतिष शास्त्र में इसके लिए क्या विधान हैं. कृपया व्याख्या करिए.
ReplyDeleteअभी थोडा व्यस्त चल रहा हूँ ६ से ८ के तारीख के बीच तक लगभग सभी सवालों का जवाब देने का प्रयत्न करूँगा !!
ReplyDelete!! जय गणेश !!
!! जय जय गणेश !!
भुवनेश जी नमस्कार
ReplyDeleteमेरे लेखों से कुछ सीखने को मिला इसका सारा श्रेय पूज्य पिताश्री और पूज्य गुरूजी को जाता है !
और एक बात यदि आपको किसी बात का संकेत मिलता है तो इसका मतलब है आपकी अन्तः प्रज्ञा
संवेदनशील है और इसे और अधिक विकसित किया जा सकता है परन्तु लोगों को तभी कुछ बताएँ
जब वो पूछें फिर बातों के सही होने पर कली जुबान होने का लांछन आप पर नहीं लगेगा !
!! जय गणेश !!
!! जय जय गणेश !!
जैसा सुचेता जी ने कहा कई लोगों को ऐसे अनुभव होते हैं लेकिन हम उन्हें संयोग मानकर छोड़ देते हैं उन्हें यहाँ शेअर करें पाठकों को कुछ सीखने को मिलेगा !
ReplyDeletenamaskar sarkar.aapke lekh padhkar maja aagaya.bhaskar shastri.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteश्री राम जी नमस्कार अब आप से पुनः प्रशन है की संकेतों को समझने के लिए व्यक्ति अपने पूर्व अनुभवों और अन्तः प्रज्ञा का सहारा तो लेता ही है. पर इस intution को और अधिक कैसे परिष्कृत किया जाए. क्या हम विशेष घटनाओं के घटित होने से पूर्व की परिस्थितियों और संकेतों को recall करके उनका पुनह निरीक्षण करने की चेष्टा कर सकते हैं ?
ReplyDeletepranaam.....i m prep for civil services ..pls ttell me in which of the foll services i may go....1.IAS.........2.IPS.........3.revenue services........4. foreign services....also tell me the time of joining the service.......details.......dob..23 sept 1987...time - 18:23:50...birth place - ujjain..( madhya pradesh)
ReplyDeletenumber between 1 to 249...is - "9".........
ReplyDeleteques- im prep for...civil services exams...pls tell me in which of th efoll services i may go..
1.IAS............2.IPS............3. foreign services..........4. revenue services..........also tell me the time of my joining the services..and i will be giving the prelims in....12th june......mains in nov 2011 fst weeek..and interview wiil be on..marsch 2012.....thnk u.....
Pralabh ji,sambhavtah aap revenue serv ke liye chune jayen
ReplyDeletePt.Lalit Mohan kagdiyal mail:lalit.jyotish@gmail.com
Shree Ram ji ,
ReplyDeleteI appreciate your efforts for Astrology , and enjoy with this subject, if need true test of enjoyment don't charge money until unless , you not in big trouble. Do this service as a hobby. Good luck