Monday, April 4, 2011

कर्म और भाग्य-1

                                                                                        
                             
                                                           

  1.                             
गीता के दूसरे अध्याय के सेतालीसवे श्लोक में श्री कृष्ण कहते हैं, कि हे मनुष्य -  तेरा केवल कर्म करने में ही अधिकार है , कर्म के फलों में तेरा कोई हस्तक्षेप  नहीं है !

 होइहि सोई जो राम रचि राखा , कों करि तरक बडावहिं  साखा !
   
   रामचरितमानस में तुलसीदास भी कहते है, कि होता  वही है , जो राम अर्थात ईश्वर ने निर्धारित कर दिया है , इसलिए हमें व्यर्थ ही तर्क नहीं करना चाहिए ! महर्षि वेदव्यास और तुलसीदास के इन दोनों कथनों कि तुलना करे तो यही प्रतीत होता है , कि मनुष्य के जीवन पर भाग्य का ही प्रभाव होता है ! तो क्या ये सही है मनुष्य के द्वारा किये गए कर्मो का कोई औचित्य नहीं है और यदि है तो फिर इन दो महापुरुषों के कथनों में केवल भाग्यवादिता का ही उल्लेख 
क्यों हुआ है ! इसी परिप्रेक्ष्य में यदि बात करे तो रामचरितमानस में ही तुलसीदास जी ने यह भी कहा है कि कर्म की  भी जीवन में उतनी ही उपादेयता है जितनी भाग्य की  !

कर्म प्रधान विश्वकरि राखा ! जो जस करिय सो तस फल चाखा !
  
     अर्थात जो जैसा कर्म करेगा उसे वैसा ही फल प्राप्त होगा!
अब यदि जीवन  के साथ अध्यात्म कि तुलना कि जाये तो प्रतीत होता है कि, जब ये दो महापुरुष भी इन दोनों विचारों कि तुलना नहीं कर सके तो हमारी औकात ही क्या है ! परन्तु क्या ये सही है , कि वेद व्यास
 और तुलसीदास जैसे महानुभाव भी कर्म और भाग्य कि गुत्थी कों सुलझा नहीं पाए थे ! सोचने पर विश्वास तो नहीं होता लेकिन क्या करे कही इन दो विषयों का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता ! फिर क्या करे कि इन दोनों विषयों का कोई स्पष्ट ज्ञान प्राप्त हो जाये !
तो फिर इंतज़ार कीजिये मेरे अगले लेख का जिसमे गणेशजी  इस गूढ़ विषय का
ज्ञान प्रदान करेंगे !ये इतना भी सहज नहीं होगा कि दो और दो चार हो जाते हैं  इसे समझने के लिए नियमित अध्ययन कि अति आवश्यकता होगी अतः आप सब पाठक गणों
से अनुरोध है कि इस विषय पर मेरे सभी लेख नियमित रूप से पढने का प्रयास करे! आप इन दोनों गूढ़ प्रश्नों के  भंवर में से स्वयं ही ज्ञान-दीप्ति कों उदय होता हुआ देखेंगे !
एक बात और मै अपने हर लेख में एक ऐसी बात बताने कि  कोशिश करूँगा जो साधारण जिंदगी में सभी के काम आ सके I
आज का TIP   :- जिन व्यक्तियों कि जन्म कुंडली में शुक्र राहू से ग्रसित  हो उन्हें श्रीमद्भागवत में से कालिया मर्दन कि कथा  का पाठ करना चाहिए और कालिया मर्दन कि तस्वीर अपने कमरे में लगानी चाहिए !



जय गणेश जय जय गणेश !
जय गणेश जय जय गणेश !

4 comments:

  1. कालिया मर्दन प्रकरण कहां से उठाया है श्रीराम..

    ठीक लगा..

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  2. कालिया मर्दन कि कथा का उल्लेख भागवत में किया गया है I मेरे पिताजी कहते हैं कि भाग्वाद्त में
    ज्योतिष के सभी दुर्योगों से बचने के उपाय दिए गए हैं बस तभी से भागवत ,महाभारत , रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण
    को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से पढने का प्रयास कारहा हूँ I धीरे - धीरे सफलता भी मिल रही है I इन्हीं सब को मिलकर मैंने कर्म
    और भाग्य पर एक पूरी श्रृंखला लिखी है I लगभग दस अध्यायों में प्रकाशित करने की कोशिश करूँगा I और भी अभी तक ज्योतिष
    और ब्लॉगिंग के क्षेत्र में बहुत कुछ सीखना बाकी है इसलिए प्लेअसे मेरी मदद करें I
    धन्यवाद !
    आपका चिर शिष्य
    श्रीराम बिस्सा

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  3. ब्लॉग्गिंग में आप ने प्रवेश किया है .
    आप का स्वागत है .
    किसी भी ज्योतिष के लिए हिंदी ब्लॉगजगत अब तक बेहद चुनौती भरा क्षेत्र रहा है.
    बहुत बहुत शुभकामनाएँ

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  4. Respected Sir Ji

    Namate


    Mai Blog par aapka lekh padkar bahut prabhavit Hua, Mai bahut pareshan hun. Main Govt, Polytechnic Korba(Chhattisgarh) me Prograamer ke post par karyarat tha. Mera Transfer Govt. Polytechnic Jashpur(Chhattisgarh) kar diya gaya, bahut koshish ke bad bhi nahi ruka to maine join kar liya. main bahut tension me hun abhi chhutti me hun ghar baithkar punah wapas aane ki koshish men hun par kam nahi ban raha hai. Kuchh upay batayen.

    Name : Murari Mahto
    DOB : 29/09/1969
    Time : 12:31 Noon (Din me)
    Place of Birth : Korba (Chhattisgarh) (Bilaspur ke pas)

    Maine Pukharaj & Panna pahana hua hai

    Main Politics me jana chahata hun aur Paisa Kamana chahata hun. Job satisfaction nahi hai. bahut mental tension rahata hai.

    Please kuchh upay batane ki kripa karen.

    Regards
    Murari Mahto

    Mo: 09425541888
    Ph : 07759 217419

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