Wednesday, March 7, 2018

ARIES - मेष

       BEHAVIOUR  -   स्वभाव   

      राशि चक्र की प्रथम राशि है जो मंगल की दाहक अग्नि से परिपूर्ण ,निडर और निर्भीक राशि है . इस राशि के जातकों को सामान्य भय से विचलित होता हुआ नहीं देखा जा सकता चाहे वे उम्र में छोटे ही क्यूं न हों . चर राशि होने के कारण और मंगल की असीमित उर्जा से भरे इन बालकों को आसानी से पहचाना जा सकता है कि ये है मेष का बालक जो चुपचाप नहीं बैठ पा रहा और यदि किसी कारण वश उसे एक जगह बैठना पड़ भी जाए तो  उनकी आँखें और मष्तिष्क में घुमड़ते सवाल हर नयी जगह का पूरी तरह निरीक्षण अवश्य करते हैं . मोहल्ले में जब कोई आयोजन हो तो बच्चों की फ़ौज में उनका नेतृत्व करने वाला , इस खम्भे से उस खम्भे तक दौड़ का आयोजन करने वाला नेता मेष के अलावा और कौन हो सकता है भला . डर का तो जैसे शब्द इनके शब्दकोष में होता ही नहीं है , यदि कोई इन्हें डांट रहा है तो उसे भी ये अहसास हो ही जाता है कि ये बच्चा डरता तो नहीं है बस सुन रहा है क्योंकि इसे पता है कि अभी ये कुछ कर नहीं सकता और अपनी भाव भंगिमाओं से इस बात का अहसास भी ये बालक करवा ही देते हैं ."बुखार थोड़ा ठीक होते ही गली में खेलने चला गया"- ये महाशय मेष के ही हैं , ऊर्जा रुकने नहीं देती इनको फिर बुखार की क्या औकात .
                         
                               ये व्यक्ति सदैव ही महत्वाकांक्षी होते हैं और इसे पूरा करने के लिए कर्म में कोई कमी नहीं रखते . निष्ठापूर्वक अपने कर्म में संलग्न रहते हैं . मेष लग्न के पीड़ित होने पर इनका विवेक काम नहीं करता और ये झगडालू प्रवृत्ति के हो जाते हैं तथा सदैव ही "आओ और हमसे लड़ो" की कोशिश में लगे रहते हैं या यूं कहें तो मंगल की ऊर्जा का दुरूपयोग होने लगता है और लोग इन्हें देखकर अपना रास्ता बदलना शुरू कर देते हैं कि कौन सर खपाए अपने पास तो इतनी ताक़त नहीं हैं . इनके लक्ष्य कभी भी छोटे नहीं होते और बड़े लक्ष्य की प्राप्ति का ये पुरजोर प्रयास भी करते हैं . इनके मन में सदैव सबसे आगे रहने की इच्छा बनी रहती है . किसी और के द्वारा दी गयी सलाह को नहीं मानते और यदि मानते भी हैं तो काफी सोचने के बाद जब और कोई रास्ता नहीं बचता तब .अपने मतानुसार कार्य करना ही पसंद  करते हैं , किसी और का टांग अड़ाना इन्हें पसंद नहीं होता है .

              जो वस्तु,स्थिति इन्हें पसंद नहीं होती ये उसके स्वयं बदलने का इंतज़ार नहीं करते बल्कि उसे तुरंत ही हटा देते हैं. धैर्य से बैठकर प्रतीक्षा करने की बजाय आगे बढ़कर अवसर को प्राप्त कर लेना ही उचित समझते हैं .कार्य को  जल्दी से जल्दी पूरा करने की मनोवृत्ति होती है जिसके कारण कई जगह इनको नुकसान भी होता है .
मेष राशि के पीड़ित होने पर इनके क्रोध को धधकने में देर नहीं लगती . अकस्मात् होने वाली घटनाओं से निपटने में मेष वाले सर्वाधिक् उपयुक्त होते हैं .

       एक कार्य को पूरा किये बिना दुसरे कार्य को शुरू कर लेना इनकी प्रवृत्ति होती है , जिसके पीछे इनका सभी कार्यों को एक साथ पूरा कर लेने का आत्मविश्वास छुपा होता है , जो कई बार नुकसानप्रद सिद्ध होता है .मेष राशि के पीड़ित होने पर हर मनोभाव अपने चरम पर पहुँच कर अपनी आगामी स्थिति को प्राप्त कर लेता है जैसे उत्साह उन्माद में परिवर्तित हो जाता है और साहस प्रमत्ता में. यदि किसी मनोभाव के लिए "प्रचंड" शब्द का प्रयोग किया जाए तो वह मेष के जातक ही होंगे . व्यक्ति के अन्दर का "मैं " भी मेष है , इनके अन्दर मैं का प्रबल भाव होता है . जल्दबाजी में कभी - कभार ये मूर्खतापूर्ण फैसले ले लिया करते हैं जिनके कारण इन्हें बाद में पछताना पड़ता है.

             बीमार नहीं रह सकते ये , इन्हें जल्दी से ठीक होना होता है. अन्दर छटपटाहट मची रहती हैं ठीक होने की , आंतरिक ऊर्जा एक जगह रुकने नहीं देती और रोगी को आराम करना होता है . ये स्थिति इन्हें शारीरिक से  अधिक मानसिक रूप से बेचैन कर देती है .

        काम , क्रोध और लड़ना ये गुण प्रधान होते हैं . यदि मेष राशि पीड़ित न हो तो इनका सकारात्मक परिणाम प्राप्त होता है जो गृहस्थ जीवन में पूर्णता , गलत के विरुद्ध क्रोध और संघर्ष को बताता है जबकि मेष राशि पीड़ित हो तो इन तीनों मनोभावों का विकृतीकरण हो जाता हैं काम के पूर्ण न होने पर क्रोध की उत्पत्ति तथा क्रोध से लड़ाई का ये सिलसिला अनवरत जारी रहता है जब तक कि मेष की ऊर्जा क्षीण नहीं हो जाती .



अगले लेख में मेष राशि के बारे में अन्य जानकारियों के साथ उपस्थित होता हूँ.
आपका -  ज्योतिष विद्यार्थी
               श्री राम बिस्सा

          

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