Saturday, February 24, 2018

TRIANGLE IN ASTROLOGY

ज्योतिष में त्रिकोण का बहुत अधिक महत्त्व है . भुजाओं से यदि किसी बंद आकृति का निर्माण करना है तो सबसे छोटी आकृति एक त्रिकोण ही हो सकती है और यही सिद्धांत ज्योतिष के फलित खंड पर भी लागू होता है .कोई भी एक भाव स्वयं अकेले ही किसी परिणाम को देने में समर्थ नहीं होता है उसे कम से कम दो और भावों की आवश्यकता होती है जिनके सहारे वह अपना त्रिकोण पूरा करे और परिणाम जातक को प्राप्त हो , इसी सिद्धांत का प्रयोग प्रो.के.एस.कृष्णमूर्ति ने अपनी तारकीय ज्योतिष पद्धति में किया है , उनहोंने हर घटना के लिए एक मुख्य भाव और दो या दो से अधिक सहायक भाव भी लिए हैं , जी हाँ त्रिकोण के अलावा बन्ने वाली चतुश्कोनीय आकृति भी फल प्रदान करने में सक्षम है . त्रिकोण तो कम से कम होना ही चाहिए .


जैसे
अल्पायु :- लग्न,द्वितीय,सप्तम और मारक स्थान .
लम्बी आयु :- १,३,5,8,१० .
प्रसिद्ध :- १,१०,३,११.
अत्याधिक धन सम्पदा :- 2,6,१०,११.
लाभ:- 2,6,१०.
यात्रा :-३,12,१.
समझौता :-३,१,९.
ऐसे बहुत से समूह हैं जिनका प्रयोग किया जा सकता है , धीरे - धीरे उदाहरणों से समझने का प्रयत्न करेंगे .

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