Saturday, February 24, 2018

SATURN AND VENUS

शनि और शुक्र
यदि इन दोनों ग्रहों में से एक ग्रह भी उच्च राशि में स्थित हो, तो जब शनि की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा या शुक्र की महादशा में शनि की अन्तर्दशा आती है तो वह उस जातक के लिए बड़ा ही संघर्षपूर्ण होता है .
जब इस नियम की जांच करनी शुरू की तो तीन ऐसे लोगों से मुलाकात हुई जिनकी जन्मपत्रिका में इन दोनों में से एक ग्रह उच्च राशि में स्थित है और वो इस दशा से भी गुजर चुके हैं ,उनसे पूछने पर उनहोंने अपने उस समयावधि के बारे में जो बताया उसे बिन्दुवार लिख रहा हूँ .
१. प्रथम जातक जिसकी जन्मपत्रिका में कन्या लग्न है तथा शुक्र अपनी उच्च राशि में स्थित है , ४५ वर्ष की उम्र हो चुकी है अब तक विवाह नहीं हुआ है . इस जातक को शनि में शुक्र की अन्तर्दशा के दौरान अपने घर से निकाल दिया गया तथा इसे अपने दोस्तों के घर, होटल तथा धर्मशालाओं में रहकर इस समय को व्यतीत करना पडा तथा धनाभाव निरंतर बना रहा . इस दशा के समाप्त होने के बाद यह पुनः अपने परिवार के साथ रहने लगा है .
२. द्वितीय जातक भी कन्या लग्न का है जिसका शनि अपनी उच्च राशि तुला में स्थित है यह जातक अपने ननिहाल में रहता था लेकिन शुक्र मैं शनि की अन्तर्दशा के समय इसे ननिहाल से वापस भेज दिया गया तथा अपने पिता का मकान बहुत छोटा होने के कारण मंदिर के एक कमरे में इस समय को व्यतीत करना पड़ा तथा धनाभाव भी निरंतर बना रहा .
३. तृतीय जातक एक विधायक है जिसे लम्बे समय की चुनावी जीत के पश्चात इस दशा समय में चुनावी हार का सामना करना पडा अर्थात विधानसभा से बाहर रहना पडा . धनाभाव तो नहीं रहा लेकिन शक्ति और अधिकार का अभाव बना रहा .
और भी कुछ जातक है जिनके शनि या शुक्र उच्च राशि में स्थित है लेकिन अभी यह दशा क्रम आना बाकी है .
इस नियम का सही होना इतना सामान्य नहीं है , यह वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह घटना विंशोत्तरी दशा क्रम की सटीकता को भी प्रतिपादित करती है .
इसका विपरीत योग भी बिलकुल सटीक है जिसके बारे फिर कभी चर्चा करूंगा .

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