Tuesday, February 27, 2018

READERS OF ASTROLOGY

                           एक लम्बे अरसे तक ज्योतिष पर लेखनी ने विराम रखा ,पर मष्तिष्क ने विचारों के क्षीर सागर में गहरे पैठना कहाँ छोड़ा था . ज्योतिष अध्ययन और परीक्षण  के साथ ही साथ ज्योतिष पर लेखन को लेकर कुछ विचार दिमाग में आवागमन करते रहे और इस आवागमन की छूट हमने भी दे ही रखी थी ताकि अनुकूल विचारों को एकत्रित किया जा सके.

    विचार कुछ यूं थे कि ज्योतिष जैसे गंभीर विषय पर जब हज़ारों वर्षों से काफी कुछ लिखा जा चुका है और आज भी यह कार्य अनवरत है फिर मेरे द्वारा जो लिखा जा रहा है वास्तव में इन लेखों का  पाठक कौन हैं और वो इनसे  किस प्रकार प्रभावित होता हैं . मेरे द्वारा लिखे गए लेख उनके लिए किस प्रकार उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं .
            सबसे महत्वपूर्ण बात तो  यह है  कि प्रत्येक श्रेणी के पाठकों के लिए ऐसा कुछ लिखा जा सके जो उनके लिए उपयोगी हो . इस मसले पर सबसे अहम तो ये हो गया कि सर्वप्रथम  पाठकों को विभिन्न श्रेणियों में रखकर ये समझा जाए कि किस श्रेणी के लोगों को किस प्रकार के लेख उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं और इसी क्रम में मैंने ज्योतिष लेखों के जिज्ञासु पाठकों का एक संक्षिप्त वर्गीकरण करने का प्रयास किया  है :-

1.      प्रथम प्रकार में वे लोग आते हैं जो ज्योतिष  के अच्छे जानकार  होने के साथ ही साथ व्यावसायिक रूप से ज्योतिष का काम  करते हैं  तथा ज्योतिष,ज्योतिषी.ज्योतिर्विद,ज्योतिषाचार्य,ज्योतिष शास्त्री   दैवज्ञ,ASTROLOGER,ASTROLOGY CONSULTANT  जैसे विशेषण इनके साथ जुड़े होते हैं . ऐसे लोगों के लिए किसी विषय विशेष पर किया गया गहन विश्लेष्णात्मक लेख ही विशिष्ट प्रयोजन का हो सकता है क्योंकि सामान्य नियमों व सिद्धांतों की इनको भली भांति जानकारी होती है और अनुभव भी .

2.     द्वितीय प्रकार में वे पाठक आते हैं जिन्होंने ज्योतिष को सीखने व इस विषय में पारंगत होने के लिए इसका अध्ययन प्रारम्भ किया है पर वे अभी अपने शुरूआती दौर में हैं तो उनके लिए ज्योतिष के आधारभूत सिद्धांतों से लेकर कई महत्वपूर्ण नियमों से सुसज्जित लेख ,जिसमें उदाहरण भी सम्मिलित हों काम के होंगे .

3.    तृतीय प्रकार के पाठक वे हैं जो ज्योतिष सीखना नहीं चाहते बस इस विषय में उनकी रूचि है और इसे पढने में उन्हें आनंद की अनुभूति होती है तो इनके लिए छोटी छोटी बातें जो ज्योतिष में काफी महत्व रखती हैं और अन्य सभी प्रकार के लेख जिन्हें ये समझ सकते हैं इनके लिए महत्वपूर्ण हैं .

4.  चतुर्थ श्रेणी में वे पाठक हैं जो इन्टरनेट पर अपनी समस्या का ज्योतिषीय उपचार खोजते हैं और विभिन्न लेखों को पढ़कर उनमे बताये अनुसार उपचार प्रारंभ कर देते हैं इन्हें ज्योतिष की TERMINOLOGY से कोई मतलब नहीं होता इन्हें बस पता होता है कि इनकी राशि क्या है और उनको शनि की साढे- साती  चल रही है या काल सर्प दोष है जो इन्हें कोई भी ज्योतिष पढने वाला या अखबार से पता लग जाता है और ये नेट पर पढ़कर उपचार करने में जुट जाते हैं कि कुछ अच्छा होगा . ऐसे पाठकों के लिए ऐसे लेखों की आवश्यकता है कि ज्योतिष जैसे गूढ़ विषय को इतने हलके में न लिया जाए और ज्योतिषीय उपचार अपना अलग  महत्त्व रखते हैं सो उन्हें ऐसे ही एकांगी लेख को पढ़कर प्रयोग में न लाया जाए बल्कि किसी विद्वान् ज्योतिषी की सलाह लेने के पश्चात ही किया जाए  .

5.  इन चार प्रकार के पाठकों के अतिरिक्त  भी एक और प्रकार है पाठकों का जो ज्योतिष के लेख इसलिए पढ़ता  हैं कि कहीं भी यदि ज्योतिष से सम्बंधित कुछ बातचीत हो तो वो भी कुछ कह सकें या अपना पक्ष रख सकें.


                    संभव हैं पाठकों के प्रकार और भी हों पर मैंने अपनी समझ व अनुभव के अनुसार ज्योतिष विषय के लेखों को पढने वाले लोगों का वर्गीकरण किया है . इस वर्गीकरण का मूल उद्देश्य यह है कि प्रत्येक श्रेणी के पाठकों को ध्यान में रखते हुए उनके लिए कुछ महत्वपूर्ण लिखा जा सके.सभी पाठकों से एक निवेदन है कि  ज्योतिषीय उपचारों के लिए किसी योग्य ज्योतिर्विद की सलाह अवश्य लें और किसी योग के बारे में बुरा पढ़कर चिंतित न हों क्योंकि ज्योतिष एक बहुआयामी विषय है एक अनुभवी ज्योतिषी ही भली- भाँति आकलन कर सकता है कि कोई योग अच्छा है या बुरा अतः पढने तक ठीक है परन्तु किसी निर्णय पर पहुँचने से पहले विषय के विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें .

     इन्हीं पाठकों के विभिन्न प्रकारों को ध्यान में रखते हुए ज्योतिषीय लेखों की एक श्रृंखला शुरू करने का मानस बना है तो शीघ्र ही एक ज्योतिष विषयक लेख के साथ मिलता हूँ .


निरंतरता बनाये रखने का प्रयत्न करूंगा .
श्रद्धावनत
आपका
ज्योतिष विद्यार्थी  श्रीराम बिस्सा





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