Thursday, September 15, 2011


ग्रह:सूर्य

                                                                  1.सूर्य

                                             "सूर्य आत्मा जगत्स्तथुषश्च"
 सूर्य ग्रहों में राजा है!इसकी जाति राजक्षत्रिय है!इसका रंग रक्त के समान है!सूर्य के देवता अग्नि है!इसके अधिपति शिव है!सूर्य की दिशा पूर्व दिशा है!यह नैसर्गिक पाप ग्रह ना होकर नैसर्गिक क्रूर ग्रह है!
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:-सूर्य वास्तव में एक तारा है,जो हमारे सौरमंडल को बाँधे रखने का कार्य करता है!सूर्य ही सौरमंडल का केंद्र बिंदु है,जिसके चारों ओर ग्रह और उपग्रह घूर्णन करते हैं!इसका कारण है,कि सूर्य से ही सभी पिंडों को जीवनी शक्ति प्राप्त होती है!सूर्य के बिना हमारे सौरमंडल और जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती!यह पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है!इसीलिये अन्य तारों की अपेक्षा अधिक चमकदार और बड़ा प्रतीत होता है!सूर्य पर हाइड्रोजन गैस का भण्डार है,जिसकी आपस में संयोजित होने की क्रिया से जो असीमित ऊर्जा विसर्जित होती है उसके अंश मात्र से पृथ्वी पर जीवन है,सभी ग्रहों का वातावरण है!
पौराणिक विवेचन:-पुराणों में आलेख मिलते हैं,कि दक्ष प्रजापति की दो कन्याओं दिति और अदिति का विवाह कश्यप मुनि के साथ हुआ था!अदिति के गर्भ से सूर्य का जन्म हुआ इसीलिये इसे आदित्य कहा जाता है!पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य के रथ में सात घोड़े जुते होते हैं!सूर्य ने संज्ञा और छाया से विवाह किया!छाया से शनि नामक पुत्र उत्पन्न हुआ जो पिता के समान बलशाली है!
पर्यायवाची:-सूर्य को अंग्रेजी में SUN,अरबी मैं आफताब,फारसी में खुरशेद कहते हैं!हिन्दी में इसे आदित्य,अर्क,अर्यमा,अंशुमाली,ग्रहपति,दिनकर,दिवाकर,प्रभाकर,भानु,मार्तंड,रवि,सविता,भास्कर,मिहिर,दिनेश इत्यादि नामों से जाना जाता है!
वैदिक मंत्र:-  आकृष्णेन रजसा वर्त्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यन्च !
                      हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन !!
तांत्रिक मंत्र:-  ह्राँ ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः !!
स्वामित्व:-रवि सौरमंडल की आत्मा है,इसके बिना सौरमंडल का अस्तित्व संभव नहीं है!अर्थात जीवन के लिए जितनी भी आवश्यक वस्तुएं हैं उन सब पर सूर्य का ही अधिकार है!हो सकता है पढ़कर ऐसा प्रतीत हो,कि जीवन के लिए तो वायु,भोजन और जल तीनों ही आवश्यक है,फिर इन सब पर सूर्य का अधिकार कैसे है!सूर्य के कारण ही पृथ्वी के पास वह शक्ति है,कि वायु और जल पृथ्वी की सतह पर उपलब्ध है और हमें भोजन प्रदान करने वाला वनस्पति जगत भी अस्तित्वमान है!रवि की ऊष्मा शरीर को जलाने वाली नहीं बल्कि शरीर के जीवित रहने के लिए जरूरी होती है!अतः आत्मा पर सूर्य का स्वामित्व है!आत्मा लौ के रूप में ऊर्ध्वगामी होकर ह्रदय में अवस्थित होती है अतः ह्रदय पर भी इसी ग्रह का अधिकार है!ह्रदय से जुड़े विभिन्न प्रकार के भाव जैसे क्षमाशीलता,अनुशासन भी सूर्य के ही अधिकार में है!
शारीरिक लक्षण एवं रचना:-इनकी आँखों का रंग धुप के जैसा होता है!अब बात आती है,कि धूप का रंग कैसा है तो गौर से देखने पर पता चलेगा कि धूप का रंग शहद के समान हल्का भूरा होता है!इनके शरीर में भी एक शहद जैसे रंग की एक परत चढी महसूस होती है!इनका चेहरा गोल होता है!यह हृदय का कारक है!पुरुषों में दांयी और स्त्रियों में बाँई आँख पर इसका स्वामित्व होता है!पेट में पाई जाने वाली जठराग्नि पर भी सूर्य का अधिकार है!
चरित्र में निहित विशेषताएं:-निःस्वार्थ प्रेम सूर्य की सबसे बड़ी विशेषता है!यह बिना भेदभाव के सबके लिए समान व्यवहार रखता है!इसकी दूसरी विशेषता है नियमित होना जिस प्रकार सूर्य नियमित होता है उसी प्रकार सूर्य के प्रभाव क्षेत्र में आने वाला व्यक्ति भी नियमित होता है!ईश्वर के प्रति सच्चा प्रेम होता है!ये ताकतवर किन्तु न्यायप्रिय होते हैं!इच्छाशक्ति बहुत ही प्रबल होती है!ये कभी थकते नहीं हैं!इनके व्यक्तित्व में एक विशेष आकर्षण होता है!दूसरों पर शासन करने की कला और ऊर्जा होती है!ईमानदारी इनकी चारित्रिक विशेषता में चार चाँद लगा देती है!
बीमारियाँ:-दिल से सम्बंधित बीमारियाँ,गर्मी के कारण होने वाले रोग,ज्वर,दृष्टि-दोष,रीढ़ सम्बन्धित रोग,पाचन से सम्बंधित समस्याएं,आत्म शक्ति की कमी!ब्लड-प्रेशर भी रवि के आधिपत्य में है क्योंकि रक्त का प्रवाह धीरे होगा या तेज यह हृदय के आकुंचन पर निर्भर करता है और हृदय पर सूर्य का अधिकार है!सूर्य के पीड़ित होने पर मुंह से थूक आता रहता है!
व्यवसाय:-राजकीय सेवा,ऊर्जा उत्पादन,दवाइयों से जुड़े व्यवसाय,धन,अनाज के कारोबार,प्रकाश देने वाली चीजें जैसे बल्ब,ट्यूब लाईट के कारोबार,डॉक्टर इत्यादि!सोने का कारोबार!सूर्य स्थिरता का कारक है यह जीवन में स्थायित्व को निर्देशित करता है!पिता द्वारा प्रदत्त स्वयं का काम!
स्टॉक मार्केट:-POWER SECTOR,NUCLEAR ENERGY,GOVT. PUBLIC SECTOR UNITS,MEDIA.
COMMODITY MARKET:-सोना,ताम्बा,कांसा,GUN METAL,माणक,गेंहू,पटाखे,ग्रेफाईट और सल्फर!
राजनीतिक दृष्टिकोण:-प्रशासकों को निर्देशित करता है!राजा,तानाशाह,बड़े शाही नेता,विभागों के अध्यक्ष,वे लोग जिनके पास शक्ति व अधिकार है!ये एक होता है,जो सभी को नियंत्रित करता है यदि इस लिहाज से देखा जाये तो सूर्य के सभी गुण राजशाही में राजा के अंदर देखने को मिलेंगे लोकतंत्र में नहीं क्योंकि लोकतंत्र में तो शासक जनता होती है शक्ति का मुख्य पुंज नागरिक होते है और नेता तो केवल कार्यवाहक होते है या यूं कहें तो नौकर होते है इसलिए मुझे ऐसा लगता है,कि विभागाध्यक्ष तो फिर भी सूर्य के प्रभाव में हो सकते हैं पर नेता तो सेवक हैं मालिक नहीं हाँ ये बात और हैकि ये लोग आगे जाकर स्वयं को लोकतंत्र का उत्तराधिकारी समझने लगें!
पदार्थ:-अखरोट,नारियल,इलाइची,केसर,अजवायन,चावल,मिर्ची,बादाम,मूंगफली,पाइन,विदेशी मुद्रा,दवाएं,
बाजार और संस्थान:-रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया,स्टॉक एक्सचेंज,सरकारी दफ्तर,सोना और इसकी कीमतों में उतार चढ़ाव,सरकारी ऋण इत्यादि!
पेड़-पौधे:-कांटेदार पेड़,बादाम,संतरे,केसर,शीशम,गुलाब और केदार के पेड़ व पौधे!इनके अलावा चिकित्सकीय प्रयोग में आने वाले पादप!
स्थान:-जंगल,शिव मंदिर,सरकारी ऑफिस,पंचायत समिति,ऊर्जा विद्युत केंद्र,विद्युत निर्माण केंद्र,दवाई की दूकान इत्यादि!
अंक:-"एक" पर निर्विवाद रूप से सूर्य का अधिकार है!
दिन,राशि और नक्षत्र:-रविवार का मालिक सूर्य है!राशियों में सिंह राशि का स्वामित्व सूर्य के पास है!सत्ताईस नक्षत्रों में से कृतिका,उत्तराफाल्गुनी और उत्तराषाढा नक्षत्रों का मालिक भी सूर्य है!
रत्न:-माणक सूर्य का प्रमुख रत्न है!इसे सोने में मढवाकर पहना जा सकता है!यह रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाने के साथ-साथ सरकारी साख भी बढाता है!
जीव-जंतु:-शेर,घोडा,मवेशी और जंगल में रहने वाले अन्य जंगली जानवर!
       सूर्य ग्रीष्म ऋतु का मालिक होता है!यह एक माह तक एक राशि में रहता है और इसकी एक दिन की गति लगभग एक अंश होती है!सौरमंडल में सूर्य के गति को अयनांश कहा जाता है!घर में सूर्य का स्थान पूजन-कक्ष होता है!सूर्य प्रभावित व्यक्तियों के घर का दरवाजा पूर्व दिशा मैं होता है!सूर्य चालित व्यक्ति के दांये नितंब पर निशान बना होता है!

1 comment:

  1. ज्ञानवर्धक जानकारी .
    धन्यवाद.

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